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झारखंड का इतिहास सरकार को नहीं, हमें लिखना है: डॉ हितेंद्र

झारखंड का इतिहास सरकार को नहीं, हमें लिखना है: डॉ हितेंद्रतसवीर राजकौशिक देंगे-दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन-दो दिनों में 94 शोध पत्र प्रस्तुत हुएप्राचीन इतिहास में झारखंड की यात्रा कितनी दूर तक तय की गयी है, उसकी एक तस्वीर बनेट्राइबल इलाकों में कौन-कौन से काम हुए, उसकी एक सूची तैयार करनी होगीअन्य राज्यों जैसे […]

झारखंड का इतिहास सरकार को नहीं, हमें लिखना है: डॉ हितेंद्रतसवीर राजकौशिक देंगे-दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन-दो दिनों में 94 शोध पत्र प्रस्तुत हुएप्राचीन इतिहास में झारखंड की यात्रा कितनी दूर तक तय की गयी है, उसकी एक तस्वीर बनेट्राइबल इलाकों में कौन-कौन से काम हुए, उसकी एक सूची तैयार करनी होगीअन्य राज्यों जैसे बिहार व बंगाल में जो कार्य किये गये हैं उसका अध्ययन करेंवरीय संवाददाता, रांचीरवींद्र भारती विवि कोलकाता के डॉ हितेंद्र पटेल ने कहा कि राष्ट्र पहले बनता है और राष्ट्रीयता बाद में. सभी चीजों के लिए सरकार की ओर देखना कहीं से भी सही नहीं है. सरकार मदद करेगी, तभी हम झारखंड का इतिहास लिखेंगे, ये नहीं होना चाहिए. हम इतिहासकार हैं और अपने राज्य का इतिहास हमें चाहिए. इसलिए हमें इतिहास लिखना है. चाहे सरकार से आर्थिक मदद मिले या न मिले. डॉ पटेल रविवार को रांची विवि पीजी के इतिहास विभाग में ‘हिस्ट्री ऑफ झारखंड ए ब्लू प्रिंट फॉर रि-कंस्ट्रक्शन’ पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन पर बोल रहे थे. डॉ पटेल ने कहा कि इतिहास लिखने के लिए सबसे पहले वीडियोग्राफी करवायी जानी चाहिए, ताकि उस क्षेत्र की एक जीवंत तस्वीर लोगों को दिख सके. हमें कम से कम एक तस्वीर देनी होगी. ट्राइबल इलाकों में कौन-कौन से काम हुए, उसकी एक सूची तैयार करनी होगी. डॉ पटेल ने कहा कि प्राचीन इतिहास में झारखंड की यात्रा कितनी दूर तक तय की गयी है, उसकी एक तस्वीर बने. यही नहीं, अन्य राज्यों जैसे बिहार व बंगाल में जो कार्य किये गये हैं उसका अध्ययन करें. इतिहास में विविध रूपों को दिखाना होगा. इतिहास लिखना व लिखवाना सरकार का काम नहीं है, ये शोधार्थियों व विद्वतजनों का काम है. अगर हम नहीं लिखेंगे, तो विकृतियां आनी शुरू हो जायेंगी. इतिहास लिखने के लिए हमें अपने अंदर एक जुनून पैदा करना होगा. मौके पर डॉ दीवाकर मिंज ने कहा कि ट्राइबल स्टडी में सबसे कम काम हुआ है. इसका दायरा बड़ा है. इसमें काम करने का अवसर भी है. फिल्ड वर्क काफी करने होंगे. इसके लिए वीडियोग्र्राफी जरूरी है. डॉ मिंज ने कहा कि यहां के हर गीत में नृत्य है और संगीत भी है. ट्राइबल हिस्ट्री का प्रावधान यूजीसी में है. हमने प्रस्ताव भी बनाये हैं. मौके पर इतिहास विभाग के छात्र-छात्राएं भी मौजूद थे. दो दिनों के सेमिनार में 94 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये. कई सुझाव भी आये हैं. वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई अच्छी तरह से हो: आशीष झारांची विवि के परीक्षा नियंत्रक आशीष झा ने कहा कि कुछ दिनों पहले परीक्षा हुई, उसमें कुछ सवाल ऐसे थे जिनका उत्तर देने में विद्यार्थियों को परेशानी हो रही थी. जब उनसे पूछा गया, तो उनका कहना था कि पढ़ाई सही से होती ही नहीं, इसलिए परेशानी हो रही है. वोकेशनल कोर्स की पढ़ाई अच्छी तरह से होनी चाहिए. झारखंड की संस्कृति को गांव-गांव तक पहुंचायें : डॉ शुक्लाभारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के पूर्व सदस्य सचिव डॉ पीके शुक्ला ने कहा कि झारखंड की संस्कृति को गांव-गांव तक पहुंचायें. इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार कर यूजीसी को भी भेजें, ताकि इस पर विचार किया जा सके. उन्होंने कहा कि लोकनृत्य, लोकगीत कलाकारों का भी ऑडियो-वीडियो तैयार कर गांवों मे ले जायें, ताकि लोग झारखंड की संस्कृति को जान सकें.कॉलेजों में एनेसिएंट हिस्ट्री कल्चरल एंड आर्कियोलॉजिकल की पढ़ाई होनी चाहिए : डॉ चौधरीआयोजन सचिव डॉ आइके चौधरी ने कहा कि अन्य राज्यों में वहां के इतिहास से जुड़े विषयों की पढ़ाई होती है. झारखंड के कॉलेजों में एनेसिएंट हिस्ट्री कल्चरल एंड आर्कियोलॉजिकल की पढ़ाई होनी चाहिए. इसे इंटरमीडिएट से लेकर एमए तक के कोर्स में शामिल करना चाहिए.शोध करें, उसे प्रकाशित भी करें : डॉ पांडेयकार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ एचएस पांडेय ने कहा कि शोध करें और उसे प्रकाशित जरूर करायें, क्योंकि हम इससे जुड़े हैं. हमारी पीढ़ी भी इससे जुड़ी हुई है. उन्हें कैसे शिक्षित किया जाये, यह हमारा कर्तव्य है. जो भी शोध होते हैं, उसे पुस्तिका के रूप में लायें. सभी विवि से सामजस्य बनाकर काम करना होगा.

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