रांची: केंद्रीय मंत्री के समक्ष किये गये वायदे के बाद एक माह में से 15 दिन गुजर गये हैं, पर राष्ट्रीय उच्च पथ-33 (रांची-जमशेदपुर मार्ग) की स्थिति नहीं सुधरी. अब भी बुंडू के आगे से जमशेदपुर और बहरागोड़ा तक केवल जजर्र सड़क ही नजर आती है. कई किलोमीटर तक तो सड़क का नामो-निशान नहीं है. सड़क पर केवल गड्ढे ही नजर आ रहे हैं. गाड़ियां भगवान भरोसे चल रही हैं. यह स्थिति तब है, जब केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के सामने एजेंसी मधुकॉन ने यह करार किया था कि एक माह के अंदर सड़क चलने लायक बना दी जायेगी.
एजेंसी व एनएचएआइ के अफसरों के साथ बैठक कर मंत्री ने कहा था कि बारिश समाप्त होते ही एक माह के अंदर सड़क चलने लायक बन जायेगी. यह वादा एजेंसी ने किया है, पर स्थिति जस की तस है.
मंत्री को करनी पड़ी थी विशेष बैठक: एनएच-33 की स्थिति पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को विशेष बैठक करनी पड़ी थी. इसमें एनएच-33 (रांची-महुलिया सड़क) के ठेकेदार मधुकॉन को साफ कहा गया था कि सड़क की स्थिति जल्द से जल्द सुधार दिया जाये. इस मामले से केंद्रीय पथ मंत्री को भी अवगत कराया गया था.
जमशेदपुर जाने में लग रहे चार घंटे : फिलहाल रांची से जमशेदपुर जाने में लोगों को निजी चार पहिया वाहनों से करीब चार घंटे लग रहे हैं, जबकि सड़क की स्थिति ठीक होने के दरम्यान दो से सवा दो घंटे में लोग जमशेदपुर-रांची की यात्र कर लेते थे.
मरम्मत के नाम पर कुछ भी नहीं : बुंडू से जमशेदपुर के बीच मरम्मत के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है. हर दिन एक ट्रक में मरम्मत के लिए मेटेरियल लेकर सड़क दुरुस्त करने का प्रयास होता है, जबकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी मात्र में मेटेरियल के इस्तेमाल होने से ही सड़क की स्थिति दुरुस्त होगी. यानी मरम्मत के नाम पर अब तक खानापूरी हो रही है.