रांची : जिस तरह एक ही गांव के चार लोगों का नाम आतंकी की लिस्ट में आया है, उससे यह साफ होता है कि आतंकियों ने रांची में मजबूत नेटवर्क तैयार कर रखा है. यहां आतंकी बनाने के लिए ट्रेनिंग की भी व्यवस्था है. यह अलग बात है कि झारखंड में अब तक कोई भी आतंकी वारदात नहीं हुए हैं. पुलिस प्रवक्ता एडीजी एसएन प्रधान के मुताबिक निश्चित रूप से चारों को रांची में ही प्रशिक्षण मिला होगा. मानसिक, शारीरिक व टेक्नीकल ट्रेनिंग भी उन्हें दी गयी होगी. आइएम का मास्टर माइंड तहसीम भी रांची आया होगा.
पुलिस को शक है कि प्रशिक्षण देने का काम उसी ने किया होगा. इस बात की पड़ताल की जा रही है कि कहां, कैसे और किन लोगों की मदद से आतंकियों को प्रशिक्षित किया गया. झारखंड में अब तक घटना न होने के बारे में मुख्यालय के दूसरे अफसर बताते हैं कि अपराध का यह पुराना तरीका है. जिस इलाके में अपराधी रहते हैं, उस इलाके में घटनाएं नहीं करते, ताकि वहां की पुलिस व आम लोगों की नजर से वे बचते रहें.
* झारखंड बन गया है आतंकियों का हब
पटना में ब्लास्ट के बाद एक बार फिर आतंकियों का झारखंड और रांची से लिंग जुड़ने का मामला सामने आया है. जमशेदपुर, रांची, जामताड़ा और हजारीबाग पिछले 10-12 साल से ज्यादा समय से आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाने के रूप में जाना जाने लगा है. झारखंड में आतंकियों के ठिकानों और गतिविधियों की जानकारी तभी उजागर होती है, जब दूसरे राज्य की पुलिस या एनआइए की टीम आकर छापेमारी या गिरफ्तारी करती है. कोलकाता में अमेरिकन सेंटर पर हमला करनेवालों को हजारीबाग में मुठभेड़ में मार गिराने से लेकर जमशेदपुर में इंडियन मुजाहिद्दीन के हार्डकोर सदस्यों की गिरफ्तारी दूसरे राज्य की पुलिस ने ही की थी.
झारखंड आतंकियों का नया ठिकाना बन रहा है, यह बात उस समय उजागर हुआ था, जब 2001 में केरल में सिमी का ट्रेनिंग कैंप लगा था. सिमी के बरामद दस्तावेज में झारखंड में हजारीबाग को सिमी का मुख्यालय बनाने की बात सामने आयी थी. इस ट्रेनिंग कैंप में शामिल होनेवाले झारखंड के युवकों की सूची गृह मंत्रालय द्वारा झारखंड पुलिस को भेजी गयी थी, लेकिन कभी भी उन युवकों की गतिविधियों पर निगरानी नहीं रखी गयी. नतीजा यह हुआ कि झारखंड में आतंकियों का नेटवर्क मजबूत होता गया और अब पटनासीरियलब्लास्टमें झारखंड के युवकों की संलिप्तता की बात सामने आयी है.
* केंद्र व राज्य का खुफिया तंत्र फेल
धुर्वा इलाके के सीठियो गांव के चार युवक आतंकी बन गये. उन्हें प्रशिक्षण भी मिला. पटना में सीरियल ब्लास्ट करने की पूरी प्लानिंग भी कर ली, लेकिन किसी सरकारी एजेंसी को इसकी भनक नहीं लगी. साफ है कि पटना की घटना ने राज्य की खुफिया एजेंसियों और पुलिस की विफलता को सामने ला दिया है. राज्य की एजेंसियां ही नहीं, केंद्रीय एजेंसियों की विफलता भी सामने आ गयी.
बरियातू थाना क्षेत्र निवासी मंजर इमाम और दानिश की गिरफ्तारी के बाद रांची पुलिस, झारखंड पुलिस की विशेष शाखा और नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) लगातार आतंकियों का पता लगाने में जुटी थी, लेकिन किसी एजेंसी ने किसी आतंकी का पता नहीं लगाया. दरअसल सुरक्षा एजेंसियों को आतंकी संगठनों के पूरे नेटवर्क की जानकारी ही नहीं है. किसी आतंकी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस या अन्य दूसरी एजेंसियां ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाती. इसकी वजह आतंकियों के काम करने का तरीका है.
आतंकी संगठन के लोग हर स्तर पर संपर्क बहुत छोटा रखते हैं. यह इतना छोटा भी हो सकता है कि एक ही मुहल्ले के रहनेवाले दो लोग एक ही आतंकी संगठन के सदस्य हों, फिर भी एक-दूसरे के बारे में इस सच से अनजान हों. सुरक्षा एजेंसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक आतंकियों के इस तरीके की वजह से एक समय के बाद जांच का काम रूक जाता है. आगे का कोई रास्ता हीं नहीं मिल पाता.
* आतंकियों से निबटने के लिए अपनी फोर्स नहीं
आतंकी खतरों से निबटने के लिए झारखंड पुलिस के पास अपना फोर्स नहीं है. करीब पांच साल से राज्य में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के गठन की प्रक्रिया चल रही है. स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी जीएस रथ ने एटीएस गठन का प्रस्ताव दिया था. सरकारी स्तर पर एटीएस में 800 फोर्स को लेकर सवाल उठा और फाइल वापस लौट गयी.
स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी अशोक कुमार सिन्हा के समय भी एक प्रस्ताव सरकार को भेजा गया, जिसमें फोर्स की संख्या 800 की जगह 300 किया गया. इस बार भी पूर्व की भांति प्रस्ताव को वापस कर दिया गया. करीब छह माह पहले स्पेशल ब्रांच ने एक प्रस्ताव भेजा, इसमें फोर्स की संख्या 150 बतायी गयी है. इस प्रस्ताव पर भी सरकार की सहमति नहीं मिली है.
पुलिस विभाग के आला अधिकारी मानते हैं कि रांची समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों में आतंकी संगठनों का मजबूत नेटवर्क है. पहले झारखंड सिर्फ स्लीपिंग सेल था, लेकिन अब घटनाओं में शामिल आतंकी पकड़े जा रहे हैं. पटना में सीरियल ब्लास्ट की योजना भी रांची में बनाये जाने की बात आ रही है. यहीं के रहनेवाले युवक आतंकी के रूप में शिनाख्त हुए हैं, लेकिन राज्य सरकार और पुलिस की नींद अब भी नहीं खुली है.
दूसरे राज्य या केंद्रीय एजेंसियों से मिलनेवाली सूचनाओं पर कार्रवाई करना ही राज्य पुलिस का काम रह गया है. पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता एडीजी एसएन प्रधान ने कहा : दूसरे राज्यों में हो रहे वारदात और उसका लिंक झारखंड से जुड़ना हमारे लिए खतरे की घंटी है.
* 10 लाख का इनामी आतंकी है तहसीन
यासीन भटकल के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) में सबसे प्रभावशाली आतंकी माने जानेवाले तहसीन को पटना में हुए सीरियल ब्लास्ट का मास्टर माइंड माना जा रहा है. आइएम का आतंकी तहसीन पर 10 लाख का इनाम रखा गया है. खुफिया एजेंसियों के पास अपुष्ट खबर है कि भटकल की गिरफ्तारी के बाद तहसीन का आइएम पर दबदबा बढ़ गया है. वह संगठन को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है, वहीं आगे की रणनीति बनाने में जुटा हुआ है.
तहसीन मूल रूप से समस्तीपुर का रहनेवाला है. हाल के वर्षों में मुंबई, हैदराबाद, पुणे और बंगलुरु में हुए सीरियल ब्लास्ट में भी तहसीन का नाम सामने आया था. 21 फरवरी 2013 को हैदराबाद में हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले की जांच के क्रम में नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) की टीम ने 22 अप्रैल 2013 को तहसीन की तालाश में समस्तीपुर और दरभंगा जिले में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. हालांकि पुलिस को सफलता नहीं मिली थी.
* जमशेदपुर में ली थी शरण
गिरफ्तार डॉ फैजल एवं इकरार शेख ने पुलिस को बताया था कि भोपाल से भाग कर उन लोगों ने रांची के एक युवक की मदद से जमशेदपुर के आजाद नगर थाना क्षेत्र के जाकिर नगर रोड नंबर 13 में एक घर खरीदा था. भोपाल पुलिस ने डॉ फैजल एवं इकरार शेख को लेकर जाकिर नगर स्थित घर में छापामारी की थी, जहां से लूटा गया साढ़े तीन किलो सोना और एक पिस्तौल बरामद किया गया था. डॉ फैजल के पास से जमशेदपुर की एक दुकान का गैस कनेक्शन एवं लर्निग ड्राइविंग लाइसेंस बरामद किया गया था, जिसके सहारे उसने मोबाइल का सिम लिया था.
डॉ फैजल ने पुलिस को पूछताछ में रांची के युवकों के नाम बताये थे, जो इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े हुए हैं. डॉ फैजल से पूछताछ में रांची के मंजर एवं दानिश के नाम का भी खुलासा हुआ था. जाकिर नगर स्थित घर में डॉ फैजल एवं इकरार शेख डेढ़ माह तक रहे थे. दोनों के साथ उनकी पत्नियां साबिया और राबिया भी थी, जो सिमी के महिला विंग शाहीन फोर्स की प्रमुख थी. गिरफ्तार डॉ फैजल और इकरार शेख को खंडवा जेल में रखा गया था, जहां से डॉ फैजल 8 अक्तूबर 13 को अपने चार साथियों के साथ फरार हो चुका है.