रांची: रांची शहर में आतंकियों के रहने की बात बहुत पहले से मिलती रही है. अब यह भी साफ हो गया है कि यहां आतंकी बनाये जाते हैं और घटनाओं को अंजाम देने की योजना भी बनायी जाती है. लेकिन न तो रांची की पुलिस और न हीं यहां के लोग आतंकी वारदातों को लेकर अलर्ट है. पटना घटना के बाद सरकार ने झारखंड में हाइ अलर्ट कर दिया है. पर, सोमवार को दिन में पुलिस में यह तत्परता दिखी ही नहीं.
ट्रेनों पर सवार होनेवाले और बस स्टैंड से खुलनेवाली बसों से आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था है. शॉपिंग मॉल, पार्क की सुरक्षा निजी स्तर पर की गयी है, लेकिन वह नाकाफी है. यहां तैनात सुरक्षाकर्मी न तो प्रशिक्षित हैं और न ही अलर्ट रहते हैं. कुछ मॉल में तैनात सुरक्षकर्मी मेटल डिटेक्टर रखते हैं, लेकिन उन्हें यह पता हीं नहीं रहता है कि किस तरह की वस्तु के संपर्क में आने पर डिटेक्टर से कैसी आवाज निकलती है.
आवाज सुननेवाला कोई नहीं
रांची रेलवे स्टेशन के मेन गेट पर दो डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर की व्यवस्था है. एक स्टेशन के भीतर जाने के लिए है, जबकि दूसरा स्टेशन से बाहर निकलने के लिए. दोनों डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर मशीन चालू हालत में है. उसके भीतर से आने-जाने पर आवाज निकलती है, लेकिन आवाज किस खतरे या वस्तु के बारे में बता रहा है, इस बात पर गौर करने के लिए वहां कोई व्यक्ति नहीं मिला. रांची रेलवे स्टेशन में प्रवेश का एक और रास्ता ऑटो स्टैंड के सामने से सीढ़ी से है. इस रास्ते पर भी लोगों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. स्टेशन के भीतर जाने के किसी भी रास्ते में सामान की जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है.
सुरक्षा भगवान भरोसे
रांची में चार बस स्टैंड हैं, जहां से दूसरे जिलों व राज्यों के लिए बसें खुलती हैं. खादगढ़ा बस स्टैंड से सबसे अधिक बसें खुलती हैं. बस स्टैंड की सुरक्षा के लिए यहां एक टीओपी है.
पुलिसकर्मियों का पदस्थापन भी है. पुलिसकर्मी टीओपी के भीतर ही रहते हैं. बाहर निकलते हैं, तो दूसरे कारणों से. सुरक्षा को लेकर नहीं. सरकारी बस स्टैंड में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. सुरक्षा के नाम पर चुटिया थाना की पुलिस गश्त के दौरान दो बार जरूर जाती है. धुर्वा बस स्टैंड और आइटीआइ बस स्टैंड में भी यात्रियों पर नजर रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
जानकारी के मुताबिक रांची से खुलनेवाले छोटे वाहनों पर सवार यात्रियों की वीडियो रिकार्डिग की जाती थी. इसी तरह रात में हजारीबाग से होकर गुजरने वाले बसों को वहां के डीवीसी चौक पर पुलिस रोकती थी. पुलिस के जवान बसों के समानों को तो चेक करते ही थे, यात्रियों के चेहरे की वीडियो रिकॉर्डिग भी करते थे.