रांची: विधानसभा में फरजी बिल के आधार पर की गयी निकासी से संबंधित मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने महालेखाकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा : यदि जांच पूरी हो गयी है, तो उसकी रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जाये.
अगर जांच चल रही है, तो यह बताया जाये कि कितने दिनों में यह पूरी होगी. महालेखाकार को रिपोर्ट दायर करने के लिए 31 अक्तूबर तक का समय दिया गया है. विराट कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस अमिताभ गुप्ता की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया.
याचिका में कहा गया है कि विधानसभा अफसरों ने वर्ष 2002 से 2011 के बीच फरजी बिल से 2.83 करोड़ रुपये निकासी की है. इनमें कुमार माधवेंद्र, राहुल कश्यापन, अंजनी चौधरी, भोगेंद्र मिश्र, मदन मोहन मिश्र, सीता राम साहनी, राम सागर और एचके शाह शामिल हैं. इन विस अफसरों ने यात्र के नाम पर टिकट बनवाये. फिर उसे कैंसिल करा दिया और पुराने टिकट के आधार पर बिल बना कर राशि निकाल ली. महालेखाकार की प्रारंभिक जांच में भी यह मामला प्रकाश में आया है. याचिका में दोषियों अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने और मामले की सीबीआइ जांच कराने का आग्रह किया गया है. महालेखाकार के वकील की ओर से बताया गया कि इस मामले में प्रारंभिक जांच हुई है. मंतव्य लेकर ही जांच की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी जा सकती है.