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राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था यातायात पुलिस के बूते में नहीं?
रांची: राजधानी रांची मंगलवार को एक बार फिर जाम की गिरफ्त में रही. इस दौरान न सिर्फ पूरे शहर की यातायात व्यवस्था चरमराई रही, बल्कि लोग भी परेशान रहे. कई की ट्रेनें छूटी, तो कई लोग विलंब से ऑफिस पहुंचे. मंगलवार की सुबह 9:30 बजे से लेकर 11. 30 बजे तक कांटाटोली चौक, बहू बाजार […]
रांची: राजधानी रांची मंगलवार को एक बार फिर जाम की गिरफ्त में रही. इस दौरान न सिर्फ पूरे शहर की यातायात व्यवस्था चरमराई रही, बल्कि लोग भी परेशान रहे. कई की ट्रेनें छूटी, तो कई लोग विलंब से ऑफिस पहुंचे. मंगलवार की सुबह 9:30 बजे से लेकर 11. 30 बजे तक कांटाटोली चौक, बहू बाजार चौक, लालपुर चौक, कोकर चौक, रातू रोड चौक, सुजाता चौक और मेडिकल चौक के पास सड़क जाम रही. जाम से पीड़ित लाेगाें का कहना है…इस यातायात पुिलस से नहीं सुधरनेवाली है जाम की स्थिति.
सबसे गंभीर स्थिति तो रातू रोड की रही. पिस्का मोड़ से लेकर रातू रोड बस स्टैंड तक घंटों गाड़ियां टस से मस नहीं हुई. जाम के कारण वाहन दिन भर सरकते रहे. इन सभी चौक-चौराहों पर जाम की वजह पुलिसकर्मियों की लापरवाही नजर आयी. बीच सड़क पर अॉटो रोक सवारी बैठानेवाले अॉटो चालकों पर कहीं भी कार्रवाई नहीं की गयी. वहीं चौक-चौराहों पर दर्जनों की संख्या में अॉटो को बेतरतीब तरीके से रोक सवारी बैठानेवाले के लिए अॉटो चालकों की होड़ पर भी पुलिस का कोई ध्यान नहीं था. नतीजा सड़क जाम होती रही और पुलिसकर्मी ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति करते रहे. राजधानी में रोजाना जाम की स्थति से यह स्पष्ट होने लगा है कि ट्रैफिक पुलिस के नियंत्रण में अब राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था नहीं है. विभाग के तमाम प्रयास के बावजूद ट्रैफिक पुलिस अपनी ड्यूटी किस तरह से कर रहे हैं, यह राजधानी में देखा जा सकता है. हालांकि कुछ ट्रैफिक पुलिसकर्मी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं.
सिर्फ प्लान ही तैयार होता रहा है
राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने को लेकर हाइकोर्ट पहले ही गंभीरता बरत चुकी है. हाइकोर्ट की ओर से वरीय अधिकारी तक को कई बार निर्देश दे चुके हैं, इसके बावजूद राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है. ट्रैफिक सुधारने के नाम पर एसपी के स्तर से सिर्फ प्लान तैयार किये जाते हैं, लेकिन उस पर गंभीरता से अमल नहीं हो पा रहा है.
पुलिस बनी रहती है मूकदर्शक
चौक-चौराहों पर ऑटो समेत सिटी बस रोके जाते हैं. यहां तक ठेले व खोमचे भी लगाये जाते हैं. इस वजह से भी जाम की स्थिति उत्पन्न होती है. जाम के कारणों को देख कर भी यातायात पुलिसकर्मी मूक दर्शक बने रहते हैं. ऑटो चालकों को बीच चौराहे पर वाहन रोक यात्रियों को बैठाने का मौका दिया जाता है. इस वजह से जब वहां दूसरी गाड़ियां पहुंचती है. तब उन्हें रुकना पड़ता है. ऐसी स्थिति में वाहनों की कतार लगनी शुरू हो जाती है. पुलिस कार्रवाई के नाम पर सिर्फ बिना परमिट ऑटो चलाने वाले को पकड़ कर उनसे जुर्माना वसूलती है, लेकिन आम लोगों की परेशानी कैसे दूर हो, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है.
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