रांची जीआरपी की पुलिस ने इंतेजार अली को भले ही जेल भेज दिया हो, लेकिन अब उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाने में पुलिस अफसरों के पसीने छूट रहे हैं. पुलिस विभाग के ही सीनियर अधिकारी दबी जुबान से इस मामले में इंतेजार अली को निर्दोष मान रहे हैं. वह कहते हैं : देखा जाये, तो शुरू से ही मामले में पुलिस ने गलतियां की. ट्रेन में सीट के नीचे से विस्फोटक बरामद होने और इस आरोप में सीट पर बैठे व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेना बड़ी भूल थी. पुलिस को थोड़ा इंतजार करना चाहिए था, तब पुलिस विस्फोटक भरा बैग लेकर चल रहे व्यक्ति को पकड़ सकती थी. वैसे भी कोर्ट में पुलिस यह बात साबित नहीं कर पायेगी कि सीट के नीचे रखा विस्फोटक इंतेजार अली का ही था. दूसरी बड़ी गलती यह की गयी कि मामले को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से बिना जांच पड़ताल किये ही आरडीएक्स की बरामदगी की खबर फैला दी गयी. इससे यह पूरा मामला आतंकी संगठन की तरफ मुड़ गया.
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विस्फोटक बरामदगी का मामला: इंतेजार अली के खिलाफ अब तक नहीं मिले साक्ष्य
रांची: वर्द्धमान-हटिया पैसेंजर ट्रेन से विस्फोटक की बरामदगी और कथित रूप से विस्फोटक लाने के आरोप में हिंदपीढ़ी निवासी इंतेजार अली के खिलाफ पुलिस को अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं. रांची जीआरपी की पुलिस ने इंतेजार अली को भले ही जेल भेज दिया हो, लेकिन अब उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाने में पुलिस अफसरों […]
रांची: वर्द्धमान-हटिया पैसेंजर ट्रेन से विस्फोटक की बरामदगी और कथित रूप से विस्फोटक लाने के आरोप में हिंदपीढ़ी निवासी इंतेजार अली के खिलाफ पुलिस को अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं.
रांची जीआरपी की पुलिस ने इंतेजार अली को भले ही जेल भेज दिया हो, लेकिन अब उसके खिलाफ साक्ष्य जुटाने में पुलिस अफसरों के पसीने छूट रहे हैं. पुलिस विभाग के ही सीनियर अधिकारी दबी जुबान से इस मामले में इंतेजार अली को निर्दोष मान रहे हैं. वह कहते हैं : देखा जाये, तो शुरू से ही मामले में पुलिस ने गलतियां की. ट्रेन में सीट के नीचे से विस्फोटक बरामद होने और इस आरोप में सीट पर बैठे व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेना बड़ी भूल थी. पुलिस को थोड़ा इंतजार करना चाहिए था, तब पुलिस विस्फोटक भरा बैग लेकर चल रहे व्यक्ति को पकड़ सकती थी. वैसे भी कोर्ट में पुलिस यह बात साबित नहीं कर पायेगी कि सीट के नीचे रखा विस्फोटक इंतेजार अली का ही था. दूसरी बड़ी गलती यह की गयी कि मामले को सनसनीखेज बनाने के उद्देश्य से बिना जांच पड़ताल किये ही आरडीएक्स की बरामदगी की खबर फैला दी गयी. इससे यह पूरा मामला आतंकी संगठन की तरफ मुड़ गया.
तीसरी बड़ी गलती यह हुई कि हर मामले में दिल्ली को खबर पहुंचाने वाले एक अफसर ने इंतेजार की गिरफ्तारी को भी बड़ी सफलता बताते हुए दिल्ली में फोन कर जानकारी दी. इस कारण अब तक पुलिस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है. पुलिस तब भी नहीं संभली, जब इंतेजार अली के हिंदपीढ़ी स्थित घर से ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिससे उसके अपराधी, उग्रवादी या आतंकी होने की पुष्टि हो सके.
कैंप में था, तो वर्द्धमान
से कैसे विस्फोटक लाया
अब तक की जांच में यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि 18 अगस्त को झालदा में एक एनजीअो के द्वारा मेडिकल कैंप लगाया गया था. उस कैंप में इंतेजार अली भी गया था. मरीजों का इलाज भी किया था. कैंप में जाने के लिए मेडिकल के एक छात्र ने इंतेजार को एनजीओ से संपर्क कराया था. अब सवाल उठता है कि अगर इंतेजार अली कैंप में मरीजों की जांच कर रहा था, तो वह विस्फोटक लाने के लिए वर्द्धमान कैसे पहुंचा.
सीडीआर से भी नहीं मिला कुछ
पुलिस ने इंतेजार के मोबाइल का कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) निकाला था. इसकी समीक्षा करने के बाद भी पुलिस को इंतेजार के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिल पाया है. सूत्रों के मुताबिक इंतेजार के मोबाइल के सीडीआर से यह पता चला है कि वह मरीजों, परिचितों और परिवार के सदस्यों से ही बात किया करता था.
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