गंभीर जल संकट वाले इन मोहल्लों में से मोरहाबादी मसजिद गली, लक्ष्मी नगर लकड़ी टाल के आगे, मधुकम, जयप्रकाश नगर पहाड़ी टोला, बिड़ला मैदान रातू रोड, सुखदेव नगर थाना के पास, पंडरा सीआरपी में, डीबडीह ऊपर टोली, तेतर टोली, अरगोड़ा मंदिर के समीप, बनहोरा रंका टोली, हेहल बगीचा टोली, आनंद नगर, बड़का टोली, सीएमपीएफ क्वाटर नदी किनारे, इलाही नगर, दीपाटोली, चाला नगर, पिपर टोली, टूंगरी टोली, पाहन कोचा, बड़गाई बस्ती साहू मोहल्ला, बूटी बस्ती नायक मोहल्ला, भाभा नगर, किशोर गंज, किशोरगंज रोड नं पांच, राजाहाता संस्कृत विद्यालय के पास, पिस्का मोड़ तेल गली, इरगु टोली, श्री नगर, कुम्हार टोली, अभिमन्यु चौक,मदीना मसजिद के पास, नाला रोड हिंदपीढ़ी, निजाम नगर खेत मोहल्ला, ग्वाला टोली हिंदपीढ़ी, बच्च कब्रिस्तान नदी ग्राउंड, हरमू विद्या नगर, महुआ टोली, स्वर्ण जयंती नगर, देवी मंडप रोड, सिंदवार टोली, सरई टांड, पुरानी रांची, साउथ समाज स्ट्रीट थड़पखना, गुजराती मोहल्ला थड़पखना, उद्धव बाबू लेन, पीएन बोस कंपाउंड, थड़पखना मसजिद के पास, कडरू जामिया नगर, कडरू मदरसा के पास, संग्राम चौक कुम्हार टोली, पहाड़ी टोला इमाम बाड़ा के पास, गाड़ी खाना, मौसी बाड़ी धुर्वा, सरई टोली तुपुदाना, ऊपर हटिया व नीचे हटिया सहित कई मोहल्ले शामिल हैं.
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शपथ लेते हैं, परंतु नहीं करते वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
रांची: राजधानी में 2.20 लाख से अधिक भवन हैं. परंतु इनमें से मात्र तीन हजार भवन ही ऐसे हैं, जिन्होंने अपने मकान में वर्षा जल संग्रह के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया है. इतनी अधिक संख्या में घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं होने से बारिश का पानी नाली से बह कर बाहर […]
रांची: राजधानी में 2.20 लाख से अधिक भवन हैं. परंतु इनमें से मात्र तीन हजार भवन ही ऐसे हैं, जिन्होंने अपने मकान में वर्षा जल संग्रह के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया है. इतनी अधिक संख्या में घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था नहीं होने से बारिश का पानी नाली से बह कर बाहर चला जाता है. इससे भूगर्भ जल का रिचार्ज होना बंद हो गया है. इससे भूगर्भ जल का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा है. इसका खामियाजा लोगों को गंभीर जल संकट के रूप में भुगतना पड़ रहा है.
टैंकर न पहुंचे, तो प्यासे रहते हैं लोग
राजधानी में जल स्तर नीचे जाने के कारण गरमी में भारी जल संकट उत्पन्न हो जाता है. नगर निगम द्वारा शहर के ऐसे 84 मोहल्ले को चिह्न्ति किये गये हैं, जहां लोग गरमी में पूरी तरह से टैंकर के पानी पर आश्रित होते हैं.
जेब भरते हैं अधिकारी, भुगत रही है जनता
रांची नगर निगम से नक्शा स्वीकृति के दौरान भवन मालिक नगर निगम में शपथ पत्र देते हैं कि अपने भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था करायेंगे. भवन निर्माण होने के बाद वहां वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बहाल किया गया कि नहीं यह देखने के लिए निगम के किसी भी अधिकारी व पदाधिकारी नहीं जाते. अगर कभी किसी इंजीनियर ने इस तरह के भवनों की जांच की भी तो उसने वाटर हार्वेस्टिंग नहीं पाये जाने पर कभी किसी भवन मालिक पर कार्रवाई नहीं की. ले-देकर मामले को सेटल कर लिया जाता है. निगम के इस ढीले-ढाले रुख के कारण भवन निर्माताओं ने कभी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बहाल करने को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी.
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