संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने एक मानवाधिकार संगठन की उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) को रद्द करने और सुरक्षा बलों द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में जांच की मांग की गयी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ‘डिनाइड फेल्योर्स इन एकाउंटेबिलिटी फॉर ह्यूमन राइट्स वायलेशंस बाय सिक्योरिटी फोर्स पर्सनल इन जम्मू एंड कश्मीर’ में जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा किये गये कथित मानवाधिकार उल्लंघन के अनेक मामलों में न्याय में आने वाली बाधाओं का जिक्र किया गया है. इसमें आफ्स्पा पर खासतौर पर ध्यान दिया गया है, जो कहती है कि यह सुरक्षा बलों के सदस्यों को कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में उन्हें अभियोजन से एक तरह से छूट देता है. जब मून के प्रवक्ता फरहान हक से पूछा गया कि क्या संयुक्त राष्ट महासचिव को रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी करनी है, तो उन्होंने कहा, नहीं, मुझे नहीं करनी.
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जम्मू-कश्मीर पर एमनेस्टी की रिपोर्ट पर टिप्पणी से मून का इनकार
संयुक्त राष्ट्र. संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने एक मानवाधिकार संगठन की उस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिसमें जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) को रद्द करने और सुरक्षा बलों द्वारा कथित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में जांच की मांग की गयी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ‘डिनाइड फेल्योर्स […]
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