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खत्म होगा आदिवासी भूमि के मुआवजे का प्रावधान!

रांची: झारखंड सरकार आदिवासी जमीन के कंपनसेशन (मुआवजे) का प्रावधान समाप्त करना चाहती है. सरकार ने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) की धारा 71 (ए) की उपधारा-दो और तीन को संशोधित या पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसका कारण एसएआर कोर्ट में इसकी गलत व्याख्या कर आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को […]

रांची: झारखंड सरकार आदिवासी जमीन के कंपनसेशन (मुआवजे) का प्रावधान समाप्त करना चाहती है. सरकार ने छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट (सीएनटी) की धारा 71 (ए) की उपधारा-दो और तीन को संशोधित या पूरी तरह समाप्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसका कारण एसएआर कोर्ट में इसकी गलत व्याख्या कर आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित किया जाना है. विभागीय मंत्री की सहमति के बाद प्रस्ताव को ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की अनुशंसा प्राप्त करने के लिए भेजा गया है.
जांच में पायी गयी थी गड़बड़ी : सरकार ने कई स्तर पर जांच के क्रम में पाया कि गैर आदिवासियों की ओर से आदिवासियों की जमीन पर कोई संरचना तैयार कर ली जाती है. इसके बाद संबंधित आदिवासी भूमि मालिक सीएनटी एक्ट की धारा 71 (ए) के तहत जमीन वापसी का मुकदमा एसएआर कोर्ट में दायर करता है. इस अर्ध न्यायिक प्रक्रिया के दौरान गलत तरीके से गैर आदिवासी यह साबित कर देता है कि वह शिडय़ूट एरिया रेगुलेशन 1966 के लागू होने के पहले से ही उस जमीन पर रह रहा है. गलत तथ्यों और गवाही के आधार पर इस बात को साबित करने के बाद एसएआर पदाधिकारी आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी के नाम हस्तांतरित करने का आदेश पारित कर देते हैं. भू-राजस्व विभाग ने मामले की समीक्षा के बाद पाया कि अगर सीएनटी एक्ट की धारा 71 ( ए) की उपधारा-2 और उपधारा-3 को समाप्त कर दिया जाये, तो यह प्रक्रिया पूरी तरह बंद हो जायेगी. इससे आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों से पूरी तरह सुरक्षित हो जायेगी.
गलत हस्तांतरण मामले में तीन अफसर हो चुके हैं दंडित
सीएनटी की धारा 71 (ए) की गलत व्याख्या कर आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को हस्तांतरित करने के मामले में राज्य सरकार ने एसएआर अफसरों पर कार्रवाई भी की है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के निर्देश पर रांची में पदस्थापित एसएआर अफसर अनूप शरण, विजय मथियस टोप्पो और जेवियर हेरेंज को निलंबित किया जा चुका है. इन पर विभागीय कार्यवाही भी चलायी जा रही है. आदिवासी जमीन का कंपनसेशन से संबंधित प्रावधान को समाप्त करने का प्रयास इसी कार्यवाही की अगली कड़ी है.

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