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कृषि प्रधान राज्यों के रूप में झारखंड की पहचान

खरीफ कार्यशाला में निदेशक ने कहा पिछले तीन सालों में राज्य को तीन कृषि कर्मण पुरस्कार मिले मिट्टी जांच कर इसके उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए रांची : कृषि निदेशक जटा शंकर चौधरी ने कहा है कि झारखंड की पहचान अब कृषि प्रधान राज्यों में होने लगी है. देश स्तर पर इसकी पहचान बन रही […]

खरीफ कार्यशाला में निदेशक ने कहा
पिछले तीन सालों में राज्य को तीन कृषि कर्मण पुरस्कार मिले
मिट्टी जांच कर इसके उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए
रांची : कृषि निदेशक जटा शंकर चौधरी ने कहा है कि झारखंड की पहचान अब कृषि प्रधान राज्यों में होने लगी है. देश स्तर पर इसकी पहचान बन रही है. इस कारण पिछले तीन सालों में राज्य को तीन कृषि कर्मण पुरस्कार मिले हैं.
वे जिला स्तरीय खरीफ कार्यशाला को संबोधित करते हुए उक्त बातें कही. उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि के लिए अगर कमियां हैं, तो संभावनाएं भी हैं. यहां जंगल-पहाड़ हैं, तो बारिश भी होती है. इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए. परती जमीन खाली नहीं छोड़नी चाहिए. कम वर्षा होने की स्थिति में खेतों में तेलहन और दलहन लगाना चाहिए. मिट्टी जांच कर इसके उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए.
किसानों को नयी तकनीक के लिए प्रेरित करें : जिला परिषद अध्यक्ष सुंदरी तिर्की ने कहा कि किसानों को नयी तकनीकी विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. किसान आज भी हाइब्रिड तकनीकी नहीं उपयोग करना चाह रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा लोगों को केसीसी से जोड़ा जाना चाहिए.
धान के अलावा अन्य फसल भी उपजाएं
उप विकास आयुक्त वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि धान यहां की महत्वपूर्ण फसल है. इसके अतिरिक्त अन्य फसल भी लगायी जानी चाहिए. ऐसी कोशिश करनी चाहिए, जिससे रांची जिले का नाम पूरे राज्य में कृषि के क्षेत्र में अव्वल हो.
इस मौके पर निदेशक डीआरडीए राम लखन गुप्ता ने भी विचार रखे. स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने किया. उन्होंने जन प्रतिनिधियों से सहयोग का आग्रह किया. इस मौके पर बीज वितरण कार्यक्रम की शुरुआत की गयी.

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