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जेल से ही गिरोह संचालित कर रहा था धीरज जालान
वाहन चोरी करनेवाले गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार रांची : होटवार जेल से ही अपर बाजार निवासी व्यवसायी के पुत्र धीरज जालान वाहन चोरी करनेवाले गिरोह का संचालन करता था. उसके इशारे पर वाहनों की चोरी होती थी. वाहन चोरी करने के बाद उसे कहां पहुंचाना है, किसे बेचना है, यह तय जेल में बंद […]
वाहन चोरी करनेवाले गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार
रांची : होटवार जेल से ही अपर बाजार निवासी व्यवसायी के पुत्र धीरज जालान वाहन चोरी करनेवाले गिरोह का संचालन करता था. उसके इशारे पर वाहनों की चोरी होती थी. वाहन चोरी करने के बाद उसे कहां पहुंचाना है, किसे बेचना है, यह तय जेल में बंद धीरज ही करता था.
गाड़ी चोरी कराने के एवज में गिरोह के सदस्य उसे बतौर कमीशन भी देते थे. गुरुवार को पुलिस ने धीरज सहित वाहन चोरी करने वाले गिरोह में शामिल पांच अपराधियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. गिरोह के सदस्यों की निशानदेही पर पुलिस ने कई वाहनों को बरामद किया है.
सिटी एसपी डॉ जया राय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि गिरोह में शामिल बीआइटी मेसरा निवासी युवक पहले से जेल में है. पुलिस उसे जल्द ही रिमांड पर लेगी. सिटी एसपी के अनुसार वाहन चोरी में शामिल अपराधियों को पकड़ने के लिए एसएसपी प्रभात कुमार के निर्देश पर कोतवाली इंस्पेक्टर विजय सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया था.
टीम ने पहले मास्टरमाइंड संतोष गुप्ता को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया. उसकी निशानदेही पर सुखदेवनगर इलाके से चोरी गयी एक बोलेरो गाड़ी बरामद की गयी. उसके बाद रांची और लातेहार में छापेमारी कर कई स्थानों से बाइक और एक स्कूटी बरामद किये गये.
सिटी एसपी ने बताया कि धीरज जेल से ही गिरोह संचालित कर रहा था. पूछताछ में धीरज जालान के शामिल होने की बात सामने आयी थी. इसी बीच पुलिस को गत बुधवार को सूचना मिली कि उसकी जमानत हो चुकी है, वह जेल से निकलनेवाला है. सूचना पर पुलिस जेल गेट पहुंची.
जैसे ही धीरज जेल से निकला, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. कार्रवाई में कोतवाली इंस्पेक्टर विजय कुमार सिंह, दारोगा प्रमोद कुमार और एसआइएसएफ के जवान शामिल थे.
गिरफ्तार अपराधी
संतोष गुप्ता (इरगू टोली), धीरज जालान (गाड़ीखाना चौक), मुनेश्वर उरांव ( चंदवा), किरण लाल (चंदवा) और कलीम अंसारी (बरवाडीह)
धीरज को कमीशन
संतोष गुप्ता व अन्य अपराधियों ने पूछताछ में बताया कि जब चोरी की गयी बाइक की बिक्री होती थी, तब उससे धीरज को तीन हजार रुपये कमीशन मिलता था.
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