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प्रिया दुबे के खिलाफ सीबीआइ जांच पर राज्य सरकार सहमत

रांची : राज्य सरकार ने आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के मामले में आइपीएस अधिकारी प्रिया दुबे के खिलाफ सीबीआइ जांच पर सहमति दे दी है. संतोष दुबे के खिलाफ चल रही जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर सीबीआइ ने उनके खिलाफ सरकार से जांच की अनुमति मांगी थी. सीबीआइ दिल्ली ने वर्ष […]

रांची : राज्य सरकार ने आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के मामले में आइपीएस अधिकारी प्रिया दुबे के खिलाफ सीबीआइ जांच पर सहमति दे दी है. संतोष दुबे के खिलाफ चल रही जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर सीबीआइ ने उनके खिलाफ सरकार से जांच की अनुमति मांगी थी. सीबीआइ दिल्ली ने वर्ष 2013 में प्रिया दुबे के पति संतोष दुबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अजिर्त करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी.
सीबीआइ ने जिस वक्त यह प्राथमिकी दर्ज की थी, उस वक्त संतोष दुबे पटना आरपीएफ में कमांडेंट के पद पर थे. सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज करने के बाद संतोष दूबे व उनकी पत्नी से जुड़े बिहार और झारखंड स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेज की जांच के दौरान यह पाया गया कि संतोष दूबे द्वारा अजिर्त चल अचल संपत्ति दोनों के ही नाम से है.
जांच में अशोक नगर में मकान, दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में मकान और दुकान पाये गये हैं. सीबीआइ को एक ज्वाइंट अकाउंट में 50 लाख रुपये होने सहित 10 लाख के लेन देन से संबंधित जानकारी भी मिली है. जांच में मिले इन तथ्यों की वजह से सीबीआइ ने संतोष दुबे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की गणना करने के लिए पत्नी के खिलाफ भी जांच करने की जरूरत महसूस की. क्योंकि प्रिया दुबे के खिलाफ जांच किये बिना किसी नतीजे पर पहुंचना संभव नहीं था. लेकिन, भ्रष्टाचार निवारण कानून के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार की अनुमति के बिना प्रिया दूबे के खिलाफ जांच कर पाना संभव नहीं था.
नियमानुसार संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए सरकार की अनुमति चाहिए, इसलिए सीबीआइ ने करीब 15 माह पहले राज्य सरकार से प्रिया दूबे के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी. सीबीआइ की इस मांग पर सरकार ने पहले विधि विभाग की राय मांगी थी. विधि विभाग ने इस मामले में महाधिवक्ता की राय मांगी थी.
महाधिवक्ता ने सीबीआइ द्वारा उपलब्ध कराये गये दस्तावेज के आधार पर जांच की अनुमति देने पर सहमति दी थी. इसके बाद से यह मामला सरकार के विचाराधीन था. सरकार ने इस मामले में विधि विभाग और महाधिवक्ता की राय से मद्देनजर सीबीआइ जांच के बिंदु पर सहमति दे दी है. शीघ्र ही इससे संबंधित आदेश सीबीआइ को उपलब्ध करा दी जायेगी.

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