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केंद्रीय करों में 32 के बदले 42 हिस्सा देने की अनुशंसा, इस साल केंद्र से 5620 करोड़ अधिक मिलेंगे

रांची : 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में इस वर्ष (2015-16) सरकार को 5620 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. हालांकि आठ केंद्रीय योजनाओं में केंद्रीय सहायता बंद करने और 24 में फंडिंग पैटर्न बदलने की वजह से इस बढ़ोतरी का शुद्ध लाभ सिर्फ 1620 करोड़ रुपये ही होगा. राज्य के वित्त सचिव अमित […]

रांची : 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में इस वर्ष (2015-16) सरकार को 5620 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. हालांकि आठ केंद्रीय योजनाओं में केंद्रीय सहायता बंद करने और 24 में फंडिंग पैटर्न बदलने की वजह से इस बढ़ोतरी का शुद्ध लाभ सिर्फ 1620 करोड़ रुपये ही होगा.
राज्य के वित्त सचिव अमित खरे ने गणना के बाद इसका अनुमान किया है. कोयले से मिलनेवाली राशि राज्य की राजनीतिक स्थिति और वास्तविक उत्पादन से प्रभावित होगी.
14 वें वित्त आयोग ने राज्यों को केंद्रीय करों में 32 के बदले 42 प्रतिशत हिस्सा देने की अनुशंसा की थी. केंद्र द्वारा इस अनुशंसा को स्वीकार किये जाने की वजह से राज्य को चालू वित्तीय वर्ष में पहले के मुकाबले 5620 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. बैकवर्ड रिजन ग्रांट फंड (बीआरजीएफ) मॉडल स्कूल, राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान सहित आठ केंद्रीय योजनाओं में केंद्रीय सहायता बंद कर दी गयी है.
इन आठ योजनाओं के मद में करीब 800 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के रूप में मिलते थे. केंद्र सरकार ने शेष 24 योजनाओं का फंडिंग पैटर्न बदलने की बात कही है. इससे अब इन योजनाओं को 50:50 प्रतिशत के आधार पर चलाये जाने की संभावना है. पहले के फंडिंग पैटर्न के हिसाब से इन 24 योजनाओं में केंद्र से 7900 करोड़ रुपये मिलते. पर, 50:50 के आधार पर इन योजनाओं के मद में केंद्र से सिर्फ 4700 करोड़ रुपये मिलेंगे. अर्थात 3200 करोड़ रुपये कम मिलेंगे.
अगर राज्य सरकार पहले से चल रही केंद्रीय योजनाओं को जारी रखना चाहते तो 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में 5620 करोड़ रुपये की वृद्धि में से 4000 करोड़ रुपये केंद्रीय योजनाओं पर खर्च हो जायेंगे. इस तरह राज्य 5620 करोड़ रुपये की वृद्धि में से पहले के मुकाबले सरकार को सिर्फ 1620 करोड़ रुपये ही अधिक मिलेंगे.
14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा में होनेवाले इस शुद्ध आर्थिक लाभ के मद्देनजर राज्य सरकार ने फंडिंग पैटर्न नहीं बदलने का अनुरोध किया है. देश के अन्य राज्यों ने भी पुराने फंडिंग पैटर्न को ही जारी रखने की मांग की है. इस बात के मद्देनजर केंद्र सरकार ने 24 योजनाओं के सिलसिले में अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं किया है. हालांकि इस माह के अंत तक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिये जाने की संभावना जतायी जा रही है.
राज्य के शीर्ष अधिकारियों के अनुसार कोल ब्लॉक की नीलामी और कोयला खनन से राज्य को 30 वर्षों में 116000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान किया गया है. अर्थात कोयले से सरकार को सालाना 3866 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. यह अनुमान 100 प्रतिशत उत्पादन के आधार पर है. अगर राज्य में बंदी, आंदोलन सहित अन्य कारणों से उत्पादन प्रभावित हुआ तो यह राशि कम हो जायेगी.

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