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निजी स्कूल हर साल नहीं बढ़ा सकेंगे फीस, प्रारूप तैयार
झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट का प्रारूप तैयार रांची : राज्य के निजी स्कूल अब प्रति वर्ष मनमाने तरीके से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे. सभी स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति और अभिभावक संघ के प्रतिनिधि की आम सहमति से ही फीस तय की जायेगी. तय फीस के प्रारूप को जिलों में […]
झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट का प्रारूप तैयार
रांची : राज्य के निजी स्कूल अब प्रति वर्ष मनमाने तरीके से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे. सभी स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति और अभिभावक संघ के प्रतिनिधि की आम सहमति से ही फीस तय की जायेगी. तय फीस के प्रारूप को जिलों में गठित जिला स्तरीय शुल्क निर्धारण कमेटी को भेजा जायेगा.
जिला स्तरीय कमेटी की सहमति के बाद ही स्कूल फीस में बढ़ोतरी कर सकेंगे. इसमें जिला स्तरीय कमेटी बदलाव भी कर सकती है. निजी स्कूल दो वर्ष में एक बार फीस में बढ़ोतरी कर सकेंगे. जिला स्तरीय कमेटी की ओर से निर्धारित शुल्क से सहमत नहीं होने पर स्कूल हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय कमेटी के समक्ष अपनी शिकायत कर सकते हैं. कमेटी में प्राथमिक शिक्षा निदेशक व राज्य स्तर पर गठित अभिभावक संघ के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. इसका प्रावधान झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट में किया गया है.
माह के अंत तक सौंपा जायेगा प्रारूप : झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ आनंद भूषण की अध्यक्षता में मंगलवार को जैक कार्यालय में हुई राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक में झारखंड रेगुलेशन फॉर कंट्रोल ऑफ फीस एक्ट के प्रारूप को अंतिम रूप दिया गया. राज्य स्तरीय कमेटी का गठन हाइकोर्ट के आदेश पर किया गया है. कमेटी इस माह अंत तक एक्ट का प्रारूप मानव संसाधन विकास विभाग के सौंप देगी. इसके बाद विभाग प्रारूप का प्रस्ताव तैयार कर इसे विधि व वित्त विभाग को भेजेगा.
वित्त व विधि विभाग की सहमति के बाद तैयार रिपोर्ट को कैबिनेट की बैठक में रखा जायेगा. राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक में सदस्य झारखंड शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी प्रदीप कुमार चौबे, जिला शिक्षा अधीक्षक जयंत कुमार मिश्र समेत अन्य भी उपस्थित थे.
शुल्क निर्धारण में इनका रखा जायेगा ध्यान
शुल्क निर्धारण में अलग-अलग मापदंड अपनाये जायेंगे. देखा जायेगा कि विद्यालय शहरी क्षेत्र में स्थित हैं या ग्रामीण क्षेत्र में. विद्यालय में छात्र-छात्रओं की संख्या, पुस्तकालय, प्रयोगशाला का स्तर, पेयजल, शौचालय, भवन की स्थिति, कंप्यूटर शिक्षा और शिक्षक की योग्यता मापदंड के अनुरूप हैं या नहीं. इसके अलावा शिक्षकों व कर्मचारियों का मिलनेवाला वेतन, पठन-पाठन पर किये जानेवाले खर्च, स्कूलों द्वारा लिये जानेवाले शुल्क व दी जानेवाली सुविधाओं को ध्यान में रख फीस का निर्धारण किया जयेगा. स्कूलों को शुल्क निर्धारण के प्रस्ताव के साथ उक्त जानकारी भी जिला स्तरीय कमेटी को देनी होगी.
विद्यालयों में बनेगा अभिभावक संघ
– सभी निजी स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति और अभिभावक संघ का गठन किया जायेगा.
– किसी स्कूल में अभिभावक संघ में वही शामिल हो सकेंगे, जिनके बच्चे वहां पढ़ते हों
– संघ का गठन विद्यालय स्तर पर आपसी सहमति से किया जायेगा. सहमति से सदस्यों का चयन नहीं होने की स्थिति में चुनाव कराया जा सकता है
डीइओ की अध्यक्षता में होगी जिला स्तरीय कमेटी
– कमेटी के अध्यक्ष संबंधित जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी होंगे
– इसके अलावा जिला शिक्षा अधीक्षक, जिले के सीबीएसइ स्कूल, आइसीएसइ स्कूल, प्लस टू उच्च विद्यालय के दो-दो प्राचार्य, सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी व अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष कमेटी के सदस्य होंगे
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