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इंटरव्यू : रघुवर दास ने कहा पूरे देश का डोमेसाइल एक
देश के नागरिक को किसी भी राज्य में नौकरी का है अधिकार मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : स्थानीय नीति लागू होते ही झारखंड में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होंगी. स्थानीय नीति को लेकर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं. पूरे देश का डोमेसाइल एक है. देश की जनता को किसी भी राज्य में नौकरी […]
देश के नागरिक को किसी भी राज्य में नौकरी का है अधिकार
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : स्थानीय नीति लागू होते ही झारखंड में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होंगी. स्थानीय नीति को लेकर कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं. पूरे देश का डोमेसाइल एक है. देश की जनता को किसी भी राज्य में नौकरी करने का अधिकार है. मैंने यह जरूर कहा कि अन्य राज्यों की तरह तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जायेगी. हर जिले में चार-चार मॉडल स्कूल खोले जायेंगे. शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त की जायेगी. भ्रष्टाचार निरोधक सेल बनेगा. जनता से अपील है कि वह भ्रष्टाचारियों की स्टिंग करे, वीडियो बनाये और मुङो भेजे. उन्हें भेजें. आधे घंटे में कार्रवाई होगी. मुख्यमंत्री ने अपने सौ दिन के कार्यकाल पर संतोष जताया.
कहा : 14 वर्ष में झारखंड की चरमरा चुकी व्यवस्था को ठीक करने में वक्त लगेगा, पर इरादा दृढ़ है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रोजेक्ट भवन में प्रभात खबर के वरीय संवाददाता सुनील चौधरी से कई मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश.
मुख्यमंत्री के रूप में आपने सौ दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया है, अब तक के कार्यो से संतुष्ट हैं?
सौ दिनों की उपलब्धि को अगर हम देखें, तो कह सकते हैं कि सरकार के प्रति जो लोगों का विश्वास खो गया था, उस विश्वास को हमने पाने का काम किया है. हमने सौ दिनों में जनता का विश्वास जीता है. जनता मानने लगी है कि सरकार काम कर सकती है. हम कर के भी दिखायेंगे. अबतक के काम से मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं. मुङो खुशी है कि विकास के काम में चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष या फिर हमारे अधिकारी या कर्मचारी, सभी लोग इस राज्य में विकास और सुशासन लाने के लिए काम कर रहे हैं. सवा तीन करोड़ जनता की आशा और आकांक्षा पूरी करने में हम सभी लगे हुए हैं.
अपने मंत्रियों के अब तक के परफारमेंस को कैसा मानते हैं?
हमारे मंत्री सभी विभागों से समन्वय स्थापित कर काम कर रहे हैं. उनके काम से पूरी तरह संतुष्ट हूं. कई मंत्री नये हैं, पर सदन में जिस तरह से उन्होंने सवालों के जवाब दिये, उससे भी उन पर विश्वास बढ़ा है. वे न सिर्फ कार्यालय बल्कि फील्ड में भी लगातार विजिट कर रहे हैं.
झारखंड में बड़े पैमाने पर पद रिक्त हैं, नियुक्ति कब आरंभ होगी?
हमने शिक्षकों की बहाली की है. पर सबको रोजगार मिले, इसके लिए स्थानीय नीति की जरूरत पड़ेगी. सर्वदलीय और बुद्धिजीवियों की बैठक के बाद हमने मुख्य सचिव से कहा है कि नियुक्ति को 15 दिनों के लिए स्थगित रखें, जब तक स्थानीय नीति नहीं बन जाती. नीति घोषित होते ही बड़े पैमाने पर नियुक्तियां आरंभ हो जायेंगी.
आपने कहा है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को यहां नौकरी नहीं मिलेगी?
मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है. मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश के किसी भी नागरिक को किसी भी राज्य में नौकरी करने का अधिकार है. वह नौकरी कर सकता है, व्यवसाय कर सकता है. यह अधिकार उसे देश का संविधान देता है. पूरे भारत का डोमेसाइल एक है. मैंने सिर्फ यही कहा है कि झारखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जायेगी. ऐसा सभी राज्य करते हैं. मेरी स्पष्ट राय है कि झारखंड में रहनेवाले झारखंडी हैं. यह बात मैंने सर्वदलीय बैठक में भी कही है.
क्या यहां स्थानीयता को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है?
कुछ दलों के लिए यह राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन भाजपा के लिए नहीं. भाजपा दूसरे दलों की तरह विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं करती है. भाजपा लोगों को बांटने के बजाय जोड़ने में विश्वास करती है. मेरा सभी से अनुरोध है कि स्थानीयता का हौवा खत्म करने में सरकार को सहयोग करें. अब समय विवाद में पड़ने का नहीं है. दूसरे राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. झारखंड को भी उस दौर में शामिल होना है. 14 साल में हम ऐसे ही काफी पीछे चले गये हैं. अब सिर्फ विकास की बातें होनी चाहिए.
कई बार देखा जाता है, आपके निर्देश के अनुपालन में विलंब होता है, या उस पर अमल नहीं होता. जैसे शहर के दारोगा का स्थानांतरण. क्या सिस्टम में कोई खामी है?
देखिए, व्यवस्था में थोड़ी-बहुत कमी हो सकती है. लेकिन सोच और इरादे में कोई कमी नहीं है. जो बातें हमने कही, उसके लिए डेडलाइन नहीं दिया था. प्रक्रिया के तहत वह काम होगा. जो भी अधिकारी जनता की आकांक्षा पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें पद पर नहीं रहने देंगे, चाहे वह कितना बड़ा भी अधिकारी क्यों न हो.
आपकी प्राथमिकता भ्रष्टाचार मुक्त राज्य और सुशासन है. पर अभी भी कई विभागों व प्रखंडों में भ्रष्टाचार व्याप्त है. इनसे कैसे निपटेंगे?
झारखंड में 14 वर्ष में इतने गड्ढे बन चुके हैं कि उन गड्ढों को भरने में थोड़ा समय लगेगा. इसलिए जनता से हम अपील करेंगे कि थोड़ा धैर्य रखें. हमने जनता से गुड गवर्नेस का वादा किया है, वह देकर रहेंगे. आनेवाले समय में आप देखेंगे कि प्रखंड ही नहीं पंचायत स्तर पर सुशासन होगा. सुशासन का मतलब सरकार की योजना में जनता की जवाबदेही. प्रशासन में एकाउंटबिलिटी नजर आयेगी.
आखिर राज्य में भ्रष्टाचार जड़ से कैसे समाप्त होगा?
भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना कठिन काम है. हमारी कोशिश है कि गरीबों की योजनाओं पर पहले भ्रष्टाचार बंद हो. छोटे-छोटे काम के लिए भी पैसे लेंगे, तो उससे गरीब जनता प्रभावित होगी. मुख्यमंत्री सचिवालय में हम भ्रष्टाचार निरोधी सेल बना रहे हैं. कोई भी घूस मांगता है, तो जनता सीधे शिकायत करें. एक टोल-फ्री नंबर भी देने जा रहे हैं.
क्या कार्रवाई हुई, इससे अवगत भी कराया जायेगा. जनता को सबूत भी देना होगा. हम तो जनता से अपील करते हैं कि जो भी घूस मांगते हैं, उसकी स्टिंग करें. मोबाइल से रिकार्डिग करें, फोटो लें, वीडियो सीधे सीएम सचिवालय स्थित भ्रष्टाचार निरोधी सेल को भेजें. आधे घंटे में कार्रवाई होगी. जिन अधिकारियों व पदाधिकारियों की अवैध संपत्ति पायी जायेगी, उसे सरकार जब्त करेगी. बिहार और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बने कानून की तर्ज पर झारखंड में भी भ्रष्टाचारियों की संपत्ति जब्त करेंगे.
आपके निर्देश के बावजूद अधिकारी फील्ड में नहीं जा रहे हैं? क्या वजह है?
अधिकारियों को मैं दोष नहीं देता हूं. दोष देना भी नहीं चाहिए. अभी तो एक महीना बजट सत्र रहा. सौ दिन में 33-34 दिन हाउस ही चला. फिर बजट की तैयारी भी थी. हमने अधिकारियों के साथ बैठक की. हमने तीन-तीन महीने की योजना बनाने का निर्देश दिया है, ताकि तीन महीने में काम शुरू हो जाये. सड़क, पीएचइडी, नगर विकास को खासतौर पर निर्देश दिया है. अधिकारी लगे हुए हैं.
अभी मुख्यालय के काम में लगे हुए हैं. जो बजट आवंटन हुआ है, उस पर काम कर रहे हैं. पैसा फील्ड में जायेगा तभी न काम होगा. इसके बाद हमने अधिकारियों को हेलीकॉप्टर ले जाने की छूट दी है. एक साथ तीन-चार अधिकारी हेलीकॉप्टर से फील्ड में जायेंगे. वहां समीक्षा कर शाम में लौटेंगे. फिर अपने विभाग के कामकाज को देखेंगे.
झारखंड में पहली बार कोई गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बना है, क्या आपको लगता है कि आदिवासियों का विश्वास जीतने में सफल रहे हैं. उनके उत्थान के लिए आपके पास आगे की क्या योजना है?
मैं सवा तीन करोड़ जनता का मुख्यमंत्री हूं. सबका साथ सबका विकास की नीति पर काम करता हूं. जो समाज के दबे-कुचले लोग हैं, शोषित हैं, उपेक्षित हैं. हमारी पार्टी ने सिखाया है, उनके लिए काम करें. हमारे मार्गदर्शक पं दीनदयाल उपाध्याय, महात्मा गांधी, भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, सबने यही कहा है, पहले उनका कल्याण करें. पर 14 वर्षो में हमारे आदिवासी भाई-बहनों का जो विकास होना चाहिए, नहीं हो पाया है.
हम अनुसूचित जनजाति विकास पर्षद बनाने जा रहे हैं.,
जहां उस जिले के जनजातीय समाज के लोग, ग्राम पंचायत के लोग, एनजीओ, मानकी-मुंडा तथा कार्यकर्ता को जोड़ कर जिला स्तर पर एक कमेटी बनेगी. इसके अध्यक्ष उपायुक्त होंगे. यह कमेटी गांव में जाकर विलेज एक्शन प्लान बनायेगी. किस गांव में क्या विकास की जरूरत है, पानी की जरूरत है या सड़क की, सारी स्थिति को देखते हुए उसकी रूपरेखा बनायेंगे. शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी पिछड़े हुए हैं. सरकार की इच्छा है कि शिक्षित और स्वस्थ समाज बने.
जब तक लोगों को जोड़ा नहीं जायेगा, तब तक यह नहीं होगा. केवल सरकार के भरोसे काम नहीं हो सकता. यह झारखंड सिर्फ रघुवर दास की नहीं है, झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता की है. और सबकी जवाबदेही है कि राज्य को किस दिशा में आगे ले जाना है. हम जनता से भी अपील करेंगे, आपका भी राज्य के प्रति कर्तव्य है. उस कर्तव्य का निर्वाह करना सबकी जवाबदेही है.
आदिवासी जमीन के अवैध हस्तांतरण पर आप क्या करने जा रहे हैं?
अवैध भूमि हस्तांतरण पर हमने एसआइटी का गठन किया है. यह पूरे राज्य में जहां भी गलत तरीके से भूमि का हस्तांतरण किया गया है, उसकी जांच करेगी और भूमि का वापस दिलाने का काम करेगी.
ग्रेटर रांची आपका ड्रीम प्रोजेक्ट है. इसका काम कब शुरू होगा?
निश्चित रूप से इसी वित्तीय वर्ष में ग्रेटर रांची का निर्माण कार्य आरंभ हो जायेगा. दुर्गापूजा के पहले आप निर्माण कार्य होता देख सकेंगे. कई स्थलों को देखा है. पर सरकार हड़बड़ी में नहीं है. सारी बातों को देखना पड़ता है. पर आपको इतना आश्वासन दे सकते हैं कि पूजा के पहले काम शुरू हो जायेगा. शिलापट्ट कोई उठा कर ले जाये यह काम रघुवर दास के समय नहीं होगा.
आपने हर शनिवार को सीएम आवास में जनता दरबार आयोजित करने की बात कही थी, अब तक यह आरंभ नहीं हो सका है. क्या वजह है?
अभी तक जनता दरबार शुरू नहीं हुआ है. भाजपा कार्यालय में जो हो रहा है, वह कार्यकर्ता दरबार है. अब जनता दरबार को नये फॉर्मेट में लायेंगे. आइटी पर आधारित करेंगे. जनता की जो भी शिकायत है, छोटे-छोटे काम हैं, उसकी शिकायत प्रज्ञा केंद्र में की जा सकती है. प्रज्ञा केंद्र को भी हम सुदृढ़ करने जा रहे हैं. प्रज्ञा केंद्र से शिकायत सीधे सीएम के सेल में आयेगी. इसके लिए एक अधिकारी रहेंगे, जो उस पर काम करेंगे. कार्रवाई से जनता को अवगत कराया जायेगा. महीने में एक बार विभागीय सचिव व शिकायतकर्ता को साथ बैठायेंगे और तत्काल निष्पादन करायेंगे.
झारखंड में शिक्षा खासकर उच्च शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है.अलग राज्य बनने के बाद एक भी नया कॉलेज नहीं खुला है. उच्च शिक्षा के लिए यहां के युवाओं को बाहर जाना पड़ता है.आपकी सोच क्या है?
यह सही है कि शिक्षण की स्थिति बेहतर नहीं है. हम जल्द ही एजुकेशन हब बनाने जा रहे हैं. साथ ही आइटी हब भी बनायेंगे. इसके लिए जमीन भी चिह्न्ति कर ली गयी है. हमने स्वास्थ्य विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व आइटी विभाग को कहा है कि ऐसी नीति बनायें कि जो मेडिकल कॉलेज खोलना चाहे या जो आइटी या इंजीनियरिंग कॉलेज खोलना चाहे, उन्हें दस जगह जाना न पड़े. एक ही स्थान पर उन्हें सारी सुविधाएं मिले. नीति बन रही है. आनेवाले समय में झारखंड निश्चित रूप से एजुकेशनल हब बनेगा. आइटी हब बनेगा. पूरे देश का पावर झारखंड बनेगा. कारण है कि पावर भी यहीं है. पावर के बगैर देश-राज्य नहीं चल सकता.
सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर नहीं है. लोग कहने लगे हैं कि जिस दिन मंत्रियों, सरकारी अफसरों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे, तभी स्थिति सुधरेगी. आप क्या करने जा रहे हैं ?
मैने इस मामले को गंभीरता से लिया है. मानव संसाधन सचिव आराधना पटनायक से कहा भी है कि हर जिले में चार ऐसे मॉडल स्कूल बनायें. प्राइवेट स्कूल के समानांतर ऐसा स्कूल बने, जहां बेहतर शिक्षण मिले. जहां के शिक्षक भी प्रशिक्षित हों. सरकार शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने का काम करेगी. आप निजी स्कूलों में देखें कि 10-12 हजार पानेवाला शिक्षक भी बेहतर शिक्षा दे रहा है.
हमारे यहां के शिक्षक 30 हजार पा रहे हैं, पर गुणवत्ता नहीं है. तो उन्हें अब प्रशिक्षित किया जायेगा. फिजिक्स, मैथ व केमेस्ट्री सहित बच्चों के चरित्र निर्माण संबंधी प्रशिक्षण भी जरूरी है. दुनिया तेजी से बदल रही है. प्रशिक्षण के जरिये इसके साथ चला जा सकता है. केवल शिक्षक ही नहीं सारी नौकरियों में यही व्यवस्था की जायेगी. हर साल प्रशिक्षण दिया जायेगा. चाहे दारोगा हों या सरकारी बाबू. मेरी कोशिश है कि साल में एक बार तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था हो.
– स्थानीय नीति लागू होते ही बड़े पैमाने पर होंगी नियुक्तियां
– भ्रष्टाचारियों की स्टिंग करे जनता, सबूत रहने पर आधे घंटे में होगी कार्रवाई
– भ्रष्ट अफसरों की अवैध संपत्ति जब्त करेगी सरकार
– जो भी अधिकारी जनता की आकांक्षा पर खरे नहीं उतरेंगे उन्हें पद पर नहीं रहने देंगे
– एक साथ तीन-चार अधिकारी हेलीकॉप्टर से फील्ड में जायेंगे
– झारखंड सिर्फ रघुवर दास का नहीं, राज्य की सवा तीन करोड़ जनता का है
– निजी स्कूल के समानांतर बनेंगे हर जिले में चार
मॉडल स्कूल
– शिक्षकों को दक्ष और पारंगत बनाया जायेगा
– हर साल अधिकारी व कर्मियों को भी प्रशिक्षण
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