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सीएम का आदेश, पर नहीं बदले कनीय पुलिस अफसर

रांची: मुख्यमंत्री ने गत 20 जनवरी को पुलिस के वरिष्ठ अफसरों से कहा था कि कनीय पुलिस पदाधिकारी बार-बार एक ही जिले में पदस्थापित कर दिये जाते हैं. हमेशा शहर में पदस्थापित रहनेवाले पदाधिकारियों को नक्सल प्रभावित इलाकों में भेजें. दूसरे पदाधिकारियों को शहर में काम करने का मौका नहीं मिलता है. मुख्यमंत्री ने 48 […]

रांची: मुख्यमंत्री ने गत 20 जनवरी को पुलिस के वरिष्ठ अफसरों से कहा था कि कनीय पुलिस पदाधिकारी बार-बार एक ही जिले में पदस्थापित कर दिये जाते हैं. हमेशा शहर में पदस्थापित रहनेवाले पदाधिकारियों को नक्सल प्रभावित इलाकों में भेजें. दूसरे पदाधिकारियों को शहर में काम करने का मौका नहीं मिलता है.

मुख्यमंत्री ने 48 घंटे के भीतर ऐसे सभी कनीय पुलिस पदाधिकारियों का तबादला करने को कहा था. ऐसे पुलिस पदाधिकारियों में दारोगा से लेकर डीएसपी तक शामिल हैं.

अब चूंकि सीएम के आदेश के 40 दिन बीत गये. इस दौरान तबादले को लेकर कई बैठकें भी हो चुकी. कहा गया कि नयी नियमावली बनेगी, फिर होगा तबादला. लेकिन यह होते-होते डीजीपी बदल गये, लेकिन अब तक ऐसे पदाधिकारियों के तबादला का आदेश नहीं निकाला गया.
दारोगा-डीएसपी एक ही जिला में: रांची के कोतवाली डीएसपी जब इंस्पेक्टर थे, तब वह रांची में ही थे. डीएसपी के रूप में अब भी यहीं हैं. सदर डीएसपी सत्यवीर सिंह भी रांची में दारोगा थे. इंस्पेक्टर बने, तो रांची में ही स्पेशल ब्रांच में गये. जब डीएसपी बने, तब फिर रांची में आ गये. धनबाद के पीसीआर डीएसपी जब एएसआइ थे, तब धनबाद में काम कर चुके हैं.
एक ही जिले में दोबारा आ गये
रांची के कोतवाली थाना के इंस्पेक्टर अरविंद कुमार सिन्हा, एसआइ रंधीर कुमार सिंह, एसआइ रंजीत सिन्हा व एसआइ शैलेश् प्रसाद दूसरी बार रांची में पदस्थापित हुए हैं. जमशेदपुर में भी कमोवेश यही हाल है. इंस्पेक्टर मदन मोहन सिंह दारोगा थे, तब जमशेदपुर में रहे. अब इंस्पेक्टर बनने के बाद भी वहीं हैं. दरोगा अनिमेष गुप्ता पहले जमशेदपुर में थे. कुछ दिन के लिए सरायकेला गये, लेकिन फिर जमशेदपुर पदस्थापित किये गये. एसआइ राजीव आनंद भी दूसरी बार जमशेदपुर में रहे. दारोगा अरविंद कुमार सिन्हा भी दूसरी बार जमशेदपुर में पदस्थापित हुए. बोकारो जिला बल के इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह भी दूसरी बार बोकारो में पदस्थापित हुए हैं.
नक्सल इलाकों में जायेंगे वीरता पदक पानेवाले
वीरता पदक (गैलेंट्री) से सम्मानित कनीय पुलिस पदाधिकारियों की नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनाती होगी. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी विचार कर सूची तैयार कर रहे हैं. अफसरों का मानना है कि नक्सलियों के खिलाफ बेहतर काम करने वाले पदाधिकारियों को ही वीरता पदक दिया गया है. साथ ही उन्हें प्रोन्नति का लाभ भी दिया गया है. इसलिए ऐसे पदाधिकारियों के अनुभव का बेहतर इस्तेमाल नक्सल प्रभावित इलाकों में किया जा सकता है.

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