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बच्चों को स्तनपान जरूरी

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा कि माताएं अपने नवजात को अधिक से अधिक स्तनपान करायें. यह हर बच्चे का मौलिक अधिकार है. श्रीमती सोरेन ने गुरुवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर आयोजित राज्य स्तरीय अभियान की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि झारखंड के बारे में वैसे भी भ्रांतियां […]

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कहा कि माताएं अपने नवजात को अधिक से अधिक स्तनपान करायें. यह हर बच्चे का मौलिक अधिकार है. श्रीमती सोरेन ने गुरुवार को विश्व स्तनपान सप्ताह के मौके पर आयोजित राज्य स्तरीय अभियान की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि झारखंड के बारे में वैसे भी भ्रांतियां हैं कि यहां माताएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं. ऐसे में प्रत्येक माताओं को जागरूक होना पड़ेगा. एक महिला के जागरूक होने से ही परिवार और समाज जागरूक होगा.

मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है. मैंने भी अपने दोनों बच्चों को स्तनपान कराया. स्तनपान नहीं कराने और बाहरी आहार देने से बच्चों को स्वस्थ नहीं रखा जा सकता. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के विद्यासागर ने कहा कि झारखंड में प्रत्येक वर्ष 45 हजार बच्चों (पांच वर्ष तक के बच्चे) की मौत होती है. आंकड़ों की बात करें तो 18 हजार बच्चों की मौत (19 प्रतिशत) दो वर्ष के दौरान होती है. इसे स्तनपान के जरिये रोक सकते हैं. लोहरदगा जिले में सबसे अधिक माताएं स्तनपान कराती हैं.

इस मामले में गढ़वा व पलामू जिला सबसे फिसड्डी है. स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि स्तनपान के लिए अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है. समाज कल्याण विभाग की प्रधान सचिव मृदुला सिन्हा ने कहा कि मां और बच्चों के बीच रिश्तों की गहराई को समझने की आवश्यकता है. नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के मिशन डायरेक्टर मनीष रंजन ने कहा कि स्वस्थ बच्चों से ही राज्य और देश का भविष्य बनेगा. यूनिसेफ के क्षेत्रीय प्रमुख जाब जकारिया ने कहा कि शहरों में स्तनपान करानेवाली महिलाओं की संख्या लगातार कम हो रही है, जो चिंता का विषय है.

झारखंड में 16 लाख धातृ माताएं हैं, जबकि आठ लाख माताएं गर्भवती हैं. स्तनपान के प्रति इन माताओं को जागरूक करने की जरूरत है. इनके अनुसार : राज्य में आठ लाख बच्चे प्रत्येक वर्ष जन्म लेते हैं. प्रत्येक दिन राज्य में 125 बच्चों की मौत हो जाती है. राज्य में तीन हजार महिला की मौत प्रसव के दौरान होती है. इसे रोकना जरूरी है. मौके पर पोषाहार विशेषज्ञ दीपिका शर्मा के अलावा स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख मौजूद थे.

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