रिम्स इमरजेंसी के सामने मंगलवार को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. मरीजों की ट्रॉली का उपयोग गैस सिलिंडर ढोने में किया जा रहा था. वहीं, ट्रॉली नहीं मिलने के कारण मरीज को परिजन किसी तरह वार्ड एवं जांच घर में ले जा रहे थे. एक दृश्य ऐसा भी था कि मरीज के लिए आयी ट्रॉली को वार्ड में पहुंचाने के लिए भी ट्रॉली का उपयोग किया जा रहा था.
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दुर्भाग्य: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का हाल मरीजों की जगह ट्रॉली से ढोये जा रहे गैस सिलिंडर
रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों को ट्रॉली नसीब नहीं होती. ट्रॉली के लिए घंटों चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं बिना जरूरत के कामों में ट्रॉली एवं ट्रॉली मैन का उपयोग किया जाता है. रिम्स इमरजेंसी के सामने मंगलवार को कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. मरीजों की ट्रॉली का उपयोग […]
रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों को ट्रॉली नसीब नहीं होती. ट्रॉली के लिए घंटों चक्कर लगाना पड़ता है. वहीं बिना जरूरत के कामों में ट्रॉली एवं ट्रॉली मैन का उपयोग किया जाता है.
भीड़वाली जगह से सिलिंडर की ढुलाई
सिलिंडर को ऐसे स्थानों से ट्रॉली से ले जाया जा रहा था, जहां मरीजों की काफी भीड़ रहती है. अगर सिलिंडर लीक हो जाये या किसी प्रकार की अनहोनी हो जाये, तो बड़ा हादसा हो सकता है. लेकिन इसकी चिंता किये बिना धड़ल्ले से सिलिंडर को ढोने में ट्रॉली मैन लगे हुए थे.
केस स्टडी
नामकुम निवासी रजवासो देवी अपने घर में गिर कर बेहोश हो गयी थी. परिजन मंगलवार को इलाज के लिए उन्हें रिम्स लाये थे. चिकित्सक ने सिटी स्कैन कराने की सलाह दी. परिजन मरीज को लेकर काफी देर तक ट्रॉली का इंतजार करते रहे, लेकिन ट्रॉली नहीं मिली. अंत में विवश होकर मरीज को किसी तरह ले जाया गया.
ऐसा होना तो नहीं चाहिए, लेकिन अगर ऐसा है, तो पता करते हैं. निश्चित रूप से मामले की जानकारी के बाद कार्रवाई की जायेगी.
डॉ एसके चौधरी, निदेशक रिम्स
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