रांची: मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा सही मायने में ‘भारत रत्न’ के हकदार हैं. सरकार उन्हें सम्मानित करने के लिए संसद भवन में उनकी प्रतिमा स्थापित करे. सिरमटोली स्थित जयपाल सिंह मुंडा चौक (सिरमटोली चौक) का सुंदरीकरण किया जाये और वहां जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा स्थापित की जाये.
कचहरी चौक के निकट जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम का सुंदरीकरण किया जाये. रांची की प्रमुख सड़क का नामकरण उनके नाम पर किया जाये. जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर खेल विश्वविद्यालय की स्थापना भी होनी चाहिए. जयपाल सिंह मुंडा की 112वीं जयंती पर मुंडा सभा द्वारा गोस्सनर कॉलेज सभागार में आयोजित परिचर्चा में यह मांग की गयी.
ओड़िशा में जाने से रोका : जनजातीय शोध संस्थान के उपनिदेशक (सेनि) सोमा सिंह मुंडा ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा की पहल से ही सरायकेला-खरसांवा को ओड़िशा में जाने से रोका जा सका. यह अविभाजित बिहार में रह गया. उनके जैसा नेता दोबारा पैदा नहीं हुआ. डेविड मंजर ने कहा कि हम अपने पुरखों को भूलते जा रहे हैं. लॉर्ड मैकाले की विचारधारा आज भी क्रियाशील है, जो हमें अपनी भाषा, संस्कृति, धरोहरों से अलग कर नष्ट करना चाहती है.
इस मौके पर बंधन लकड़ा, बिलकन डांग, तनूजा मुंडा, मानकी मुंडा ने भी अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम की अध्यक्षता नवीन मुंडू ने की. इस अवसर पर रोयल डांग, अघना डांग, चेंबरलेन टोपनो, राजेंद्र सिंह मुंडा, बिरसा मुंडा व अन्य उपस्थित थे.
विदेशों में भी किया गौरवान्वित
जोहार के समन्वयक सीरत कच्छप ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा ने 1928 में एम्सटर्डम में खेले गये ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को स्वर्ण पदक दिलाया. उसी साल वह आइसीएस की परीक्षा में भी सफल हुए. भारत के संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने आदिवासियों को ही नहीं, सभी भारतीयों को गौरवान्वित किया.
दूसरी पारी खेलना चाहते थे
गिरिधारी राम गौंझू ने कहा कि टकरा-हातुदामी के एक आदिवासी लड़के ने ऑक्सफोर्ड में पढ़ायी की. ऊंचा पद हासिल किया पर अपने लोगों के लिए सब कुछ छोड़ दिये. कांग्रेस में झारखंड पार्टी के विलय के समय उनका भाषण सुनने का अवसर मिला था. झारखंड पार्टी की सीटें लगातार घट रही थीं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया. मृत्यु के चार दिन पहले उन्होंने बारडेला (बहुबाजार) में फिर से झारखंड पार्टी में लौट कर सक्रिय राजनीति से जुड़ने इच्छा जाहिर की थी.
डायरी में मिलेंगे कई सवालों के जवाब
अर्थशास्त्री प्रो रमेश शरण ने कहा कि उन पर शोध जरूरी है. यह विडंबना है कि उन पर अब तक सिर्फ एक शोध (पीएचडी) हुआ है. उन्होंने झारखंड पार्टी का विलय कांग्रेस में क्यों किया, ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब शायद उनकी डायरी में दर्ज हैं, जो उन्होंने कुमार सुरेश सिंह को दिया था. आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि जल, जंगल, जमीन की लड़ाई अब भी जारी है. जब तक आदिवासी बिखरे रखेंगे, दूसरे इसका लाभ उठाते रहेंगे. हमें मरांग गोमके की राजनीतिक सोच को आगे बढ़ाने की जरूरत है.