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झाविमो के इंतजार में भाजपा, विलय का दबाव

आदिवासी वोट बैंक में पैठ के लिए बाबूलाल को करेंगे प्रोजेक्टविलय के सवाल पर बंटा है झाविमो, कई नेता कर रहे हैं विरोधब्यूरो प्रमुख, रांचीभाजपा और झाविमो के रिश्ते को लेकर अब भी पेंच फंसी है. भाजपा को अब भी झाविमो के जवाब का इंतजार है. भाजपा ने झाविमो पर विलय का दबाव बनाया है. […]

आदिवासी वोट बैंक में पैठ के लिए बाबूलाल को करेंगे प्रोजेक्टविलय के सवाल पर बंटा है झाविमो, कई नेता कर रहे हैं विरोधब्यूरो प्रमुख, रांचीभाजपा और झाविमो के रिश्ते को लेकर अब भी पेंच फंसी है. भाजपा को अब भी झाविमो के जवाब का इंतजार है. भाजपा ने झाविमो पर विलय का दबाव बनाया है. झाविमो हां,ना में फंसा है. झाविमो के अंदर विलय के सवाल पर पार्टी बंटी है. कई नेता वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में भाजपा में विलय ही आखिरी रास्ता मानते हैं, वहीं पार्टी के कई विधायक विलय के पक्ष में नहीं हैं. पार्टी विधायकों की मंशा है कि भाजपा को बिना विलय के समर्थन के तैयार किया जाये. उधर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बिना विलय के झाविमो को शामिल कराने के पक्ष नहीं है. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व आदिवासी वोट बैंक में पैठ के लिए बाबूलाल को प्रोजेक्ट करने की रणनीति पर काम कर रहा है. वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में बाबूलाल के इमेज को पार्टी भुनाना चाहती है. झाविमो के विलय को लेकर पूर्व चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव, प्रदेश प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत सहित कई केंद्रीय नेता लगे हैं. प्रदेश के झाविमो नेताओं से बातचीत भी की है.लोकसभा चुनाव के दौरान भी हुई थी कोशिशलोकसभा चुनाव के दौरान भी झाविमो के विलय की कोशिश हुई थी. भाजपा तब झाविमो के लिए चार सीट छोड़ने के लिए तैयार थी. लेकिन श्री मरांडी ने तब भी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. बाबूलाल मरांडी केवल गंठबंधन करना चाहते थे. इसके बाद भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान भी विलय की बात बढ़ायी. पिछले कई महीने से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व केवल विलय की बात कर रहा है.

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