रांची: सिमडेगा सरना टोली निवासी सरिता की उम्र लगभग 12 वर्ष है. बेहद चंचल और हंसमुख. दिल्ली की भाषा वह फर्राटे से बोलती है. पिछले एक साल से वह दिल्ली में द्वारका में एक डॉक्टर दंपति के पास थी. डॉक्टर दंपति उससे घर व क्लिनिक का काम कराया करते थे.
सुबह पांच बजे उठ कर सबसे पहले छत में पौधों को पानी देना, फिर घर में झाड़ू पोछा और उसके बाद उसे क्लिनिक भी ले जाया जाता था. क्लिनिक में उससे सफाई का काम कराया जाता था. सरिता बताती है कि डॉक्टर साहब उसे एप्रॉन पहन कर मेडिकल उपकरण को भी साफ करने बोलते थे. कौन कौन से उपकरण? यह पूछने पर कहती है एक तो चिमटे जैसा था. दूसरा शीशा, कांटा तथा इसी तरह के और कई उपकरण. काम के दौरान डांट सामान्य बात थी. कई बार उसे मारा पीटा भी जाता था. सरिता के दोनों हाथ में जलने के गहरे निशान हैं. उसने कहा कि मालकिन के घर में दूध गरम कर रही थी तो दूध हाथों में गिर गया था.
दिल्ली कैसे पहुंची थी? इस सवाल पर सरिता ने कहा कि सिमडेगा के ही एक परिचित अमित नामक व्यक्ति ने उसकी बड़ी बहन को दिल्ली ले जाने के लिए बात की थी. किसी कारण बड़ी बहन नहीं जा सकी तो उसकी जगह पर उसने सरिता को दिल्ली जाने को कहा. इसके बाद सरिता उसके साथ दिल्ली चली गयी. सरिता को जब डॉक्टर दंपति के घर से छुड़ाया गया तो उसे मुआवजा भी मिला. एक लाख 21 हजार रुपये. अब वह दिल्ली नहीं जाना चाहती है. वह काम सीख कर अपने गांव में ही रहना चाहती है.
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