रांची: झारखंड को वर्ष 2016-17 तक करीब 4000 मेगावाट बिजली की जरूरत होगी, जो आज की जरूरत लगभग 1300 मेगावाट (डीवीसी कमांड एरिया सहित) से करीब 2700 मेगावाट अधिक है. 18वीं इलेक्ट्रिक पावर सर्वे कमेटी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है. रिपोर्ट में झारखंड को बिजली उत्पादन की दृष्टि से कमजोर बताया गया है.
हालांकि, निजी व सरकारी क्षेत्र के कई प्रस्तावित पावर प्लांट के बनने के बाद करीब 7440 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. इसमें राज्य सरकार (पीटीपीएस) के 1320 मेगावाट के अलावा एनटीपीसी व निजी पावर प्लांट के कुल 6120 मेगावाट में से भी 25 फीसदी (1530 मेगावाट) बिजली राज्य को मिलेगी. इससे राज्य की जरूरत पूरी हो जायेगी.
इधर, राज्य सरकार के पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) व सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट की खस्ता हालत से यह स्थिति बनी है. पीटीपीएस की 10 यूनिट में से दो ही बिजली उत्पादन में सक्षम है. नतीजतन कुल 840 व पुनरीक्षित 770 मेगावाट क्षमतावाला यह बिजली घर बमुश्किल 100-150 मेगावाट ही बिजली पैदा करता है.
वहीं सिकिदरी हाइडल पावर को चलने के लिए गेतलसूद डैम में कम से कम 1925 फीट पानी चाहिए. यह जल स्तर वर्ष में तीन-चार माह ही उपलब्ध रहता है. गौरतलब है कि रांची शहर को जलापूर्ति भी इसी जलाशय से होती है. टीवीएनएल सर्वाधिक विद्युत उत्पादनवाला पावर प्लांट है, जहां रोजाना लगभग 400 मेगावाट बिजली पैदा होती है.