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अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता पर बोले मुशर्रफ

हमसे भूल हो गयीएजेंसियां, कराचीअफगानिस्तान में निर्मम तालिबान शासन को पाकिस्तानी सरकार की ओर से मान्यता देने की भूल परवेज मुशर्रफ ने कबूल कर ली है. करीब दो दशक बाद पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि यह इसलामाबाद की बड़ी भूल थी. मुशर्रफ ने गुरुवार को यहां युवा […]

हमसे भूल हो गयीएजेंसियां, कराचीअफगानिस्तान में निर्मम तालिबान शासन को पाकिस्तानी सरकार की ओर से मान्यता देने की भूल परवेज मुशर्रफ ने कबूल कर ली है. करीब दो दशक बाद पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया है कि यह इसलामाबाद की बड़ी भूल थी. मुशर्रफ ने गुरुवार को यहां युवा संसद (यूथ पार्लियामेंट) को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान एकमात्र देश था, जिसने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता दी, क्योंकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएइ) बाद में पीछे हट गये थे. मुशर्रफ (71) पाकिस्तान में 1999 से 2008 तक सत्तासीन रहे थे.उन्होंने ने कहा कि 1979 में सोवियत संघ की ओर से अफगानिस्तान में किये गये हमले ने दुनिया के राजनीतिक माहौल को बदल दिया. सोवियत के हटने के बाद इस क्षेत्र को छोड़ देनेवाले अमेरिका ने ‘तीन बड़ी भूल’ की थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका की सबसे बड़ी भूल सोवियत संघ के खिलाफ लड़नेवाले 25,000 अफगान मुजाहिदीनों का पुनर्वास नहीं करना थी. ये मुजाहिदीन पाकिस्तान आ गये और यहीं से अल कायदा का जन्म हुआ.

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