झारखंड गठन के 14 वर्ष पूरे हो गये हैं. इन 14 वर्षों में यह राज्य लड़खड़ाता हुआ चल रहा है. यहां की सबसे बड़ी समस्या अस्थिर सरकार की रही है. किसी भी पार्टी ने अपने कार्यकाल को पूरा नहीं किया. सत्ता के लिए राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान को जनता ने देखा. अपने स्वार्थ के लिए राजनीतिज्ञों ने इस राज्य को 14 वर्ष पीछे धकेल दिया है. करोड़ों रुपये के घोटाले हुए. पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई राजनेता जेल गये. विकास के नाम पर यहां कंक्रीट के अंधाधुंध जंगल बने, जबकि पेड़ कटते रहे. झारखंड का जो मौसम पहले होता था, वह बदलता गया. अब यहां गरमी और उमस है. बारिश कम होती है. यहां के विद्यार्थियों के लिए अच्छे शिक्षण संस्थान नहीं बने. आदिवासी सदानों की स्थिति बदतर होती चली गयी. लगता नहीं है कि राजनेताओं में अभी भी सुधार के लक्षण हैं. अब जो करना है, जनता को करना है. इस बार चुनाव में सिर्फ स्थायित्व की ही नहीं, बल्कि अच्छे नेतृत्व को चुने. ऐसा नेतृत्व, जो स्थायित्व दे. यहां की विशिष्ट संस्कृति को बरकरार रखे और सभी को लेकर राज्य के विकास का खाका तैयार करे.रोशन पासवान, अधिवक्ता
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स्थायित्व देनेवाला नेतृत्व चुनें(आपकी राय)
झारखंड गठन के 14 वर्ष पूरे हो गये हैं. इन 14 वर्षों में यह राज्य लड़खड़ाता हुआ चल रहा है. यहां की सबसे बड़ी समस्या अस्थिर सरकार की रही है. किसी भी पार्टी ने अपने कार्यकाल को पूरा नहीं किया. सत्ता के लिए राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान को जनता ने देखा. अपने स्वार्थ के […]
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