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आपसी सहयोग और बेहतर हो

चाई के त्रिदिवसीय कांफ्रेंस का समापनतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददातारांची. चर्च हिस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया (चाई) के त्रिदिवसीय कांफ्रेंस का समापन शनिवार को एसडीसी सभागार में हुआ. कांफ्रेंस में तय किया गया कि एसोसिएशन के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न चर्च के बीच आपसी सहयोग व तालमेल को और बेहतर किया जायेगा. इस […]

चाई के त्रिदिवसीय कांफ्रेंस का समापनतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददातारांची. चर्च हिस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया (चाई) के त्रिदिवसीय कांफ्रेंस का समापन शनिवार को एसडीसी सभागार में हुआ. कांफ्रेंस में तय किया गया कि एसोसिएशन के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न चर्च के बीच आपसी सहयोग व तालमेल को और बेहतर किया जायेगा. इस कांफ्रेंस में चर्च इतिहासकार, रिसर्च स्कॉलर व अन्य बुद्धिजीवियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये. तीन दिनों में 32 से ज्यादा शोध पत्र पढ़े गये. शनिवार को केरल व दक्षिण भारत में मसीहियत, उसके प्रारंभिक विकास व संस्कृति पर प्रभाव पर कई शोध पत्र पढ़े गये. प्रो जॉर्ज मेनाचेरी ने अपने शोधपत्र में मसीहियत के भारतीयकरण पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि किस तरह भारतीय संस्कृति व चर्च की संस्कृति एक-दूसरे को प्रभावित करेगी. डॉ वर्गीस पेराइल ने अपने शोध पत्र के माध्यम से 1653 के काल को मसीहियत के संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने इस दौरान केरल के सीरियन मसीही एवं यूरोप के अन्य चर्च के प्रभावों की जानकारी दी. डॉ एलेक्स मैथ्यू ने आर्च बिशप मार इवानिश एवं उनके मूवमेंट के बारे में जानकारी दी.

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