युग पुरुष हैं स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज वैद्य चंद्रभूषण पाठकश्री गोवर्धन मठ पुरी के वर्तमान 145वें श्री भज्जगद्गुरु शंकराचार्य अनंतश्री विभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज एक युग पुरुष हैं. उनसे विश्व के सर्वोच्च संगठनों-संयुुक्त राष्ट्रसंघ और विश्व बैंक तक ने मार्गदर्शन प्राप्त किया है. वह अपने योगदान से भारत को पुन: विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित कर रहे हैं. श्री भज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का जन्म दरभंगा (वर्तमान में मधुबनी) जिले के हरिपुर बख्शीटोल गांव में 30 जून 1943 में हुआ. उनके पिता श्रोत्रिय कुलभूषण पं लालवंशी झा व मां गीता देवी थीं. स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज के बचपन का नाम नीलांबर था. उन्हें मात्र ढाई वर्ष की उम्र में श्री राधाकृष्ण का परम अनुग्रह प्राप्त हुआ और पांच वर्ष की उम्र में अमृत स्वरूप मृत्युंजय होने का अपूर्व बोध हुआ. उन्होंने वैशाख कृष्ण एकादशी विक्रम संवत् 2013 तदनुसार 18 अप्रैल 1974 को पूज्यपाद धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के सानिध्य में सन्यास लिया. इसके बाद माघ शुक्ल षष्टी के नौ फरवरी 1992 को गोवर्धन मठपुरी के 145वें शंकराचार्य के पद पर पदासीन हो गये.महाराज श्री का अभियान मानवमात्र को सुबुद्ध, सत्यसहिष्णु व स्वावलंबी बनाना है. महाराज श्री की रचित स्वस्तिक गणित, अंकपदीयम, गणितसूत्रम सहित दस पुस्तकें गणित पर प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्होंने 120 पुस्तकों की रचना की है, इनमें श्री शिवावतार,भागवत्पाद, आदि शंकराचार्य विशेष रूप से पठनीय है.
BREAKING NEWS
रांची परिदर्शन (16 से 18 अक्टूबर) पर विशेष
युग पुरुष हैं स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज वैद्य चंद्रभूषण पाठकश्री गोवर्धन मठ पुरी के वर्तमान 145वें श्री भज्जगद्गुरु शंकराचार्य अनंतश्री विभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज एक युग पुरुष हैं. उनसे विश्व के सर्वोच्च संगठनों-संयुुक्त राष्ट्रसंघ और विश्व बैंक तक ने मार्गदर्शन प्राप्त किया है. वह अपने योगदान से भारत को पुन: विश्व गुरु […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement