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चेंबर चुनाव : पवन बजाज और रतन मोदी आमने-सामने

लाइफ रिपोर्टर @ रांचीरविवार को चेंबर की नयी कार्यकारिणी के लिए मतदान होना है. मतदाताओं को लुभाने का दौर जोरों पर है. जनसंपर्क अभियान, एसएमएस के साथ ही बैठकें भी कर मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचायी जा रही है. इसी क्रम में प्रभात खबर ने बुधवार को दोनों टीमों के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पवन […]

लाइफ रिपोर्टर @ रांचीरविवार को चेंबर की नयी कार्यकारिणी के लिए मतदान होना है. मतदाताओं को लुभाने का दौर जोरों पर है. जनसंपर्क अभियान, एसएमएस के साथ ही बैठकें भी कर मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचायी जा रही है. इसी क्रम में प्रभात खबर ने बुधवार को दोनों टीमों के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पवन बजाज और रतन मोदी को आमने-सामने किया. दोनों ने अपनी योजनाओं की जानकारी दी. चेंबर के सदस्यों ने उनसे सवाल पूछे, जिनका जवाब दोनों ने दिया. 10 रुपये की फीस में जोड़े जाएं सभी व्यापारी : पवन बजाजचेंबर व्यापारियों की संस्था है, लेकिन पूरे राज्य में 50 लाख व्यापारियों में से मात्र 2700 लोग ही सदस्य हैं. चेंबर की सदस्यता शुल्क 10 रुपये कर राज्यभर के व्यापारियों कोे जोड़ना चाहिए. इससे 50 लाख की क्षमता होने के कारण चेंबर का महत्व भी बढ़ेगा और सरकार से पॉलिसी बनवाने में आसानी होगी. इसके अलावा एक साथ पांच करोड़ रुपये भी जमा हो जायेंगे. आज चेंबर बिना दांत वाला शेर हो गया है. हमें ऐसा चेंबर बनाना है, जो व्यापारियों के हित में फैसले लेने के लिए सरकार को बाध्य कर सके. व्यापारी रोजमर्रा की चीजों से ही परेशान है. पंडरा बाजार समिति में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है. दुकानों की हालत खस्ता है. हम अपनी असफलता का ठीकरा सरकार पर नहीं फोड़ सकते हैं. मैं चेंबर में मिशन के साथ आया हूं. लोगों ने चेंबर को अपनी इच्छापूर्ति का साधन बना लिया है. संस्था को क्षति पहुंचाने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए. चेंबर चुनाव में फिजूलखर्ची भी काफी बढ़ गयी है. आरके गाड़ोदिया के कहने पर चुनाव पार्टियों में शराब नहीं परोसने का फैसला किया है. चेंबर चुनाव सद्भाव के वातावरण मेें होना चाहिए. यह चेंबर सदस्यों के लिए वार्षिक उत्सव की तरह है. चेंबर का काम सरकार व व्यापारियों के बीच समन्वय का : रतन मोदीचेंबर का काम किसी से लड़ाई झगड़े का नहीं है. यह सरकार व व्यापारियों के बीच समन्वय का काम करता है. व्यापारियों के काम के लिए किसी के पास भी जाना पड़े, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. इगो को सामने नहीं लाना चाहिए. राज्य में स्थिर सरकार नहीं होने के कारण चेंबर के काम नहीं हो पा रहे हैं. बार-बार सरकार व सचिव बदल जाते हैं. सरकार की मंशा नहीं होने के कारण काम नहीं हो पा रहे हैं. यहां एक दल की सरकार आयेगी, तभी राज्य का विकास हो पायेगा और व्यापारियों की समस्याओं का निराकरण हो सकेगा. वहीं दूसरी ओर साथ ही बने उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ में स्थायी सरकार होने से वहां काफी विकास हो पाया है. चेंबर किसी एक व्यक्ति से नहीं चल सकता है. यहां टीम वर्क काम करती है. कम से कम 250-300 लोगों की टीम पूरे साल काम करती है. लीडर को सभी को साथ लेकर चलना होता है. चेंबर को काम करनेवाले व्यक्ति की जरूरत है. काम ज्यादा हो और भाषण कम. संस्था सबसे शक्तिशाली है. चेंबर को कोई कम न आंके. 1960 से चेंबर स्थापित है. हमारा प्रयास रहेगा कि ज्यादा से ज्यादा काम कर चेंबर को और शक्तिशाली बनायें. आनेवाले समय में सरकार के साथ समन्वय बना कर चेंबर काम कराने का प्रयास करता रहेगा.

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