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ग्रामीण इलाकों में पाइप जलापूर्ति योजना से 10 प्रतिशत लोगों को ही पानी

दीपक, रांचीझारखंड के ग्रामीण इलाकों में 10 प्रतिशत लोगों को ही पाइपलाइन से जलापूर्ति मिल पा रही है. सरकार की ओर से 93 प्रतिशत आबादी को ट्यूबवेल के जरिये पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. पेयजल और स्वच्छता विभाग के अनुसार रांची अंचल, धनबाद अंचल, बरही ग्रामीण अंचल, गुमला, मेदिनीनगर, देवघर, दुमका और […]

दीपक, रांचीझारखंड के ग्रामीण इलाकों में 10 प्रतिशत लोगों को ही पाइपलाइन से जलापूर्ति मिल पा रही है. सरकार की ओर से 93 प्रतिशत आबादी को ट्यूबवेल के जरिये पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. पेयजल और स्वच्छता विभाग के अनुसार रांची अंचल, धनबाद अंचल, बरही ग्रामीण अंचल, गुमला, मेदिनीनगर, देवघर, दुमका और जमशेदपुर अंचल में 31 से अधिक ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के लिए तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति दिलाने की कोशिश की जा रही है. 2014-15 में केंद्र सरकार की ओर से 568.11 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय अनुदान के रूप में झारखंड को 183.59 करोड़ दिये जायेंगे, जबकि राज्य सरकार अपने कोटे के तहत 384.52 करोड़ रुपये दिये गये हैं. 19 अगस्त तक ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के लिए सरकार की ओर से 167.05 करोड़ रुपये रिलीज किये गये हैं. इस बाबत 29.66 करोड़ रुपये ही खर्च किये जा सके हैं. उच्च प्रवाही नलकूपों (एचवाइडीटी) की योजनाएं पूरीराज्य सरकार की ओर से 2012-13 में कराये गये उच्च प्रवाही नलकूप (एचवाइडीटी) योजना के तहत 25 सौ से अधिक योजनाओं को पूरा कर लिया गया है. यह योजना वही नलकूपों में ली गयी है, जहां के डीप बोरवेल से प्रति घंटा पांच हजार लीटर से अधिक पानी का डिस्चार्ज हो पाया है. सरकार ने एक हजार से अधिक एचवाइडीटी स्कीम को सौर ऊर्जा पर आधारित मोटर पंप से जोड़ कर पीने का पानी मुहैया कराना शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के तहत 2013-14 में 227.34 करोड़ रुपये का अनुदान राष्ट्रीय ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के तहत दिया गया था. इसमें से राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं को पूरा करने के लिए 266.86 करोड़ रुपये खर्च किये. केंद्र के ही आंकड़ों को लें, तो अनुसूचित जाति के लिए केंद्र सरकार से 39.01 करोड़ रुपये दिये गये. इसके विरुद्ध सरकार ने 70.71 करोड़ रुपये खर्च किये. अनुसूचित जनजाति से संबंधित टोलों में जलापूर्ति व्यवस्था के लिए 73.55 करोड़ और सामान्य जाति से संबंधित टोलों में पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए 122.60 करोड़ रुपये खर्च किया गया. केंद्र सरकार की ओर से योजना में सामान्य जलापूर्ति कार्यक्रम के लिए 153.07 करोड़ रुपये दिये गये.

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