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रांची : जेबीवीएनएल के एमडी रहे राहुल पुरवार को नोटिस
टाटा कंपनी से कमीशन लेने के आरोप की वंदना डाडेल ने की थी जांच रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) के तत्कालीन एमडी राहुल पुरवार को कार्मिक विभाग ने नोटिस जारी किया है. विभाग द्वारा नोटिस जारी कर तत्कालीन ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल द्वारा की गयी जांच पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. गौरतलब है […]
टाटा कंपनी से कमीशन लेने के आरोप की वंदना डाडेल ने की थी जांच
रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) के तत्कालीन एमडी राहुल पुरवार को कार्मिक विभाग ने नोटिस जारी किया है. विभाग द्वारा नोटिस जारी कर तत्कालीन ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल द्वारा की गयी जांच पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. गौरतलब है कि टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के अधिकारियों से कमीशन लेने के आरोपों को तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष व वर्तमान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस कांफ्रेस का टाटा कंपनी का इ-मेल जारी किया था. जिसमें आरोप लगाया गया था कि टाटा कंपनी को भुगतान करने के एवज में राहुल पुरवार की तरफ से कमीशन मांगी जा रही है. इसे लेकर विधानसभा में हंगामा भी हुआ था.
बाद में पूरे मामले की जांच ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल ने की. वंदना डाडेल ने अपनी रिपोर्ट सरकार को अगस्त में ही सौंप दी थी. अब करीब छह माह बाद इस मामले को लेकर श्री पुरवार से स्पष्टीकरण मांगा गया है. नोटिस में उनसे वंदना डाडेल द्वारा की गयी जांच रिपोर्ट पर उनका पक्ष मांगा गया है.
उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने की अनुशंसा की थी : श्रीमती डाडेल ने अपनी रिपोर्ट के अंत में लिखा है कि जेबीवीएनएल में एमडी राहुल पुरवार से ज्यादा सीनियर कोई अधिकारी नहीं है. इसलिए जांच कर आगे की कार्रवाई करने में कठिनाई आ रही है. उन्होंने राज्य स्तर से ही उच्च स्तरीय जांच दल गठित कर आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा की थी.
जांच रिपोर्ट में क्या लिखा था ऊर्जा सचिव डाडेल ने
तत्कालीन ऊर्जा सचिव वंदना डाडेल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि टाटा प्रोजेक्ट्स के मामले से संबंधित सभी फाइलों की गहन जांच की. हालांकि इ-मेल के बाबत उन्होंने लिखा है कि इ-मेल के बाबत टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के अधिकारियों ने अनभिज्ञता जाहिर की. इसके बाद मार्च 2019 से लेकर जुलाई 2019 तक भुगतान की जांच की गयी. रिपोर्ट में हर उस दिन का उल्लेख किया गया था, जब फाइल जेबीवीएनएल के एमडी के पास आयी और गयी.
कब कितना भुगतान हुआ, इन सारी बातों का उल्लेख करते हुए सचिव ने कहा कि जिस अवधि की यह शिकायत है. उस अवधि में एमडी राहुल पुरवार ने बिना किसी ठोस आधार के बार-बार भुगतान को लेकर पूछताछ की.सचिव ने लिखा है कि सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद बिल भुगतान में औसतन पांच महीने का समय लगाया. जिससे यह साबित होता है कि जिन भुगतान के लिए एमडी पर आरोप लगे थे, उनमें जानबूझ कर भुगतान करने में देरी की गयी. सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भी बार-बार भुगतान में देरी महज एक इत्तेफाक नहीं हो सकता.
श्रीमती डाडेल ने लिखा था कि हालांकि जिस तरह के आरोप टाटा के अधिकारियों की ओर से एमडी राहुल पुरवार पर लगाये गये हैं, उसके सभी तथ्यों की पुष्टि नहीं होती है. लेकिन इन आरोपों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता.
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