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रांची : सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने मांगी रिपोर्ट

यातायात नियमों की अनदेखी से झारखंड में रोजाना 11 मौतों पर कमेटी ने जतायी नाराजगी दो अगस्त को सरकार को कमेटी के सामने प्रस्तुत करना है अपना पक्ष बिपिन सिंह रांची : लगातार बढ़ते सड़क हादसों के बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से सड़क सुरक्षा पर गठित कमेटी ने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की […]

यातायात नियमों की अनदेखी से झारखंड में रोजाना 11 मौतों पर कमेटी ने जतायी नाराजगी
दो अगस्त को सरकार को कमेटी के सामने प्रस्तुत करना है अपना पक्ष
बिपिन सिंह
रांची : लगातार बढ़ते सड़क हादसों के बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से सड़क सुरक्षा पर गठित कमेटी ने प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है. रिपोर्ट में हादसे के बाद की गयी कार्रवाई और भविष्य में हादसे न होने देने के लिए उठाये जानेवाले कदमों का ब्योरा मांगा है.
इधर, कमेटी का पत्र मिलते ही परिवहन विभाग में सक्रिय हो गया है. दो अगस्त को सरकार को कमेटी के सामने अपना पक्ष प्रस्तुत करना है. कमेटी के पत्र के बाद विभाग ने बैठक कर सभी विभागीय अधिकारियों को नवीनतम आंकड़ों के लिए लंबे-चौड़े निर्देश जारी कर दिये गये हैं. इसके बाद सड़क दुर्घटना में मरनेवाले लोगों से जुड़े तमाम आंकड़े इकठ्ठा किये जा रहे हैं. गौरतलब है कि भारत में सड़क हादसों में होनेवाली मौतों का आकलन करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि देश में इतने लोग सीमा पर या आतंकी हमले में नहीं मरते, जितने सड़कों पर गड्ढों व अन्य वजहों से मारे जाते हैं, लोगों का इस तरह मरना दुर्भाग्यपूर्ण है.
सड़क सुरक्षा के 25 दिशा-निर्देशों पर देना है जवाब
कमेटी की पहल पर लीड एजेंसी बनाने, ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन से प्राप्त जुर्माने की राशि से सड़क सुरक्षा फंड का गठन, लाइसेंस, वाहनों के पंजीकरण, सड़क सुरक्षा, वाहनों के फीचर, सभी पब्लिक सर्विस वाहनों में जीपीएस, सड़क सुरक्षा शिक्षा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने, राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्पेशल पेट्रोल फोर्स का गठन, यातायात नियमों का उल्लंघन करनेवालों पर नजर, गार्डवाल, सीसीटीवी कैमरे, इमीशन नॉर्म्स समेत अन्य कुल 25 मामलों पर जानकारी देनी है. इनमें एक बड़े हिस्से पर काम पूरा कर लिया गया है.
बेहतर समन्वय के लिए हो रहे प्रयास
सड़क सुरक्षा एक मल्टी एजेंसी मुद्दा है, लाइसेंस परिवहन विभाग के अंतर्गत आता है, इंफोर्समेंट पुलिस के अंतर्गत आता है, सड़कों की इंजीनियरिंग का काम पांच से सात विभागों के अंतर्गत आता है, ट्रॉमा केयर स्वास्थ्य विभाग का मामला है. सभी विभागों को एक साथ लाने के लिए राज्य में प्रयास किये जा रहे हैं.

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