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रांची : मनी लाउंड्रिंग के आरोपी सीए को नहीं मिली राहत
शकील अख्तर रांची : हाइकोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नरेश केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस सीए पर दवा घोटाले के अभियुक्त आइएएस अधिकारी डॉक्टर प्रदीप कुमार की काली कमाई को सही करार देने के लिए अलग-अलग तरह के हथकंडे अपनाने का आरोप है. गड़बड़ी में शामिल प्रदीप […]
शकील अख्तर
रांची : हाइकोर्ट ने मनी लाउंड्रिंग के आरोपी चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) नरेश केजरीवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस सीए पर दवा घोटाले के अभियुक्त आइएएस अधिकारी डॉक्टर प्रदीप कुमार की काली कमाई को सही करार देने के लिए अलग-अलग तरह के हथकंडे अपनाने का आरोप है. गड़बड़ी में शामिल प्रदीप कुमार, पाठक टेलीकॉम और नंदलाल(एचयूएफ) तीनों के ही सीए केजरीवाल थे.
न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी की अदालत में सीए की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई हुई. इसमें इडी की ओर से यह कहा गया कि डॉ प्रदीप कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सुनियोजित साजिश रच कर 1.76 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है.
नरेश केजरीवाल, प्रदीप कुमार के सीए थे. इन्होंने प्रदीप कुमार की काली कमाई को कागजी कंपनियों के सहारे जायज करार देने की कोशिश की. साथ ही इन पैसों से प्रदीप कुमार द्वारा संपत्ति अर्जित करने में मदद की. जांच में पाया गया कि प्रदीप कुमार द्वारा 31 अगस्त 2008 को सेल डीड संख्या 9786 द्वारा कोलकाता के सुगम अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदने में सीए ने मदद की. यह संपत्ति अरुण कुमार अग्रवाल से खरीदी गयी.
इसके लिए मेसर्स पाठक टेलीकॉम कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से 20 लाख रुपये का कर्ज प्रदीप कुमार के भाई राजेंद्र कुमार के नाम दिखाया गया. हालांकि राजेंद्र कुमार को इस कर्ज की कोई जानकारी नहीं थी. सिर्फ इतना ही नहीं मेसर्स पाठक टेलीकॉम के सीताराम पाठक उस व्यक्ति को नहीं जानते जिसे उन्होंने 20 लाख रुपये का कर्ज दिया. केजरीवाल ही मेसर्स पाठक टेलीकॉम के सीए थे. केजरीवाल ने ही पाठक के 20 लाख रुपये नंदलाल(एचयूएफ) को ट्रांसफर करने को कहा था. कर्ज की यह रकम बगैर किसी लोन एग्रीमेंट के दिया गया.
दवा घोटाले में सीबीआइ द्वारा कार्रवाई करने के बाद 20 लाख रुपये मेसर्स पाठक टेलीकॉम को वापस किया गया ताकि गलतियों पर पर्दा डाला जा सके. संपत्ति खरीद के इस मामले में इंदर लाल केजरीवाल द्वारा भी डॉ प्रदीप कुमार के भाई राजेंद्र कुमार को 4.95 लाख रुपये का कर्ज दिये जाने का दावा किया गया. हालांकि राजेंद्र कुमार ने इंदर केजरीवाल से किसी तरह से जान पहचान होने की बात से भी इंकार किया.
इडी की ओर से यह भी कहा गया कि नंदलाल (एचयूएफ) भी सीए की राय से ही बनाया गया और रिटर्न दाखिल कर मनी लाउंड्रिंग से बचने की कोशिश की गयी. दूसरी तरफ अभियुक्त सीए की ओर से अदालत में यह कहा गया कि वह पूरी तरह निर्दोष है. सीबीआइ ने भी आरसी-01/ए /2011-आर में केजरीवाल पर यही आरोप लगाया था. सक्षम न्यायालय ने संज्ञान लिया था. अभियुक्त ने इसके खिलाफ अपील की थी. हाइकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा लिये गये संज्ञान को निरस्त कर दिया था.
इसलिए इडी के इस मामले में अभियुक्त को अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति अनिल कुमार चौधरी ने अपने फैसले में कहा कि मामले में अभियुक्त पर मनी लाउंड्रिंग के गंभीर आरोप हैं. इसलिए उसे अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है.
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