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जयपाल सिंह मुंडा की पुण्यतिथि : जमीन को आदिवासियों का मौलिक अधिकार बनाना चाहते थे जयपाल सिंह मुंडा : वीर भारत

रांची : जेएनयू के पूर्व प्राध्यापक सह मानविकी संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो वीर भारत तलवार ने कहा कि इतिहास ने जो सलूक आदिवासियों के साथ किया, वही इसने जयपाल सिंह मुंडा के साथ भी किया. उन्हें समुचित स्थान नहीं दिया गया. इतिहास ने उनके जीवन के बस कुछ आयामों की ही चर्चा की है. उनके […]

रांची : जेएनयू के पूर्व प्राध्यापक सह मानविकी संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो वीर भारत तलवार ने कहा कि इतिहास ने जो सलूक आदिवासियों के साथ किया, वही इसने जयपाल सिंह मुंडा के साथ भी किया.

उन्हें समुचित स्थान नहीं दिया गया. इतिहास ने उनके जीवन के बस कुछ आयामों की ही चर्चा की है. उनके निर्णयों पर सवाल उठाये है़ं. इसलिए हमें उन निर्णयों की परिस्थितियों व कारणों को सामने लाने की जरूरत है.
जयपाल सिंह मुंडा पर विश्वविद्यालय स्तर पर शोध होना चाहिए. उनके चिंतन पर राजनीति विज्ञान, सामाजिक विज्ञान विभागों में चिंतन होना चाहिए. वे जेएनयू और दिल्ली विवि में यह कराने का प्रयास करेंगे.
ऐसा रांची के स्तर पर भी होना चाहिए. वे मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा मेमोरियल ट्रस्ट, ऑल इंडिया ट्राइबल लिटरेरी फोरम व अन्य संगठनों द्वारा लोयला सभागार में जयपाल सिंह मुंडा की पुण्यतिथि पर हुए स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे़
जनगणना पर भी बहुत ज्यादा विश्वास नहीं
प्रो तलवार ने कहा कि जयपाल सिंह जनगणना पर भी बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करते थे. वे मानते थे कि यह सही तरीके से नहीं किया जाता और इसमें आदिवासी आबादी बहुत कम कर दिखायी जाती है, ताकि उनकी राजनैतिक हैसियत कम दिखे. पांचवी व छठी अनुसूची के बारे में भी उनके सुझाव नहीं माने गये़
वे चाहते थे कि गैर आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों को आदिवासी माना जाये. वह चाहते थे कि जनजातीय परामर्शदातृ परिषद पर राज्यपाल या मुख्यमंत्री हावी न हो जाये, क्योंकि संस्था महत्वपूर्ण है, व्यक्ति नहीं.
विदेशों में 20 साल रहने के बाद भी उन्होंने यहां की परिस्थितियाें को तुरंत समझ लिया. कार्यक्रम में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के वीसी डॉ सत्यनारायण मुंडा, डॉ निर्मल मिंज, मृणाल रॉय, जयंत जयपाल सिंह, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की, वासवी किड़ो, संतोष तिर्की सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे़

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