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रांची : स्वास्थ्य विभाग व सीबीआइ के बीच नहीं रहा तालमेल, गोदाम में पड़े-पड़े 45 करोड़ की दवा बर्बाद

संजय रांची : स्वास्थ्य विभाग की ओर से खरीदी गयी दवाएं, प्रचार-प्रसार सामग्री, फर्नीचर व उपकरण गोदामों में रखे-रखे खराब हो गये. एक्सपायर्ड 134 दवाअों सहित अन्य 125 अन्य सामान की कीमत करीब 45 करोड़ अांकी जा रही है. इस रकम में बड़ा हिस्सा दवाअों का ही है. ताजा आकलन से यह राशि बढ़ या […]

संजय
रांची : स्वास्थ्य विभाग की ओर से खरीदी गयी दवाएं, प्रचार-प्रसार सामग्री, फर्नीचर व उपकरण गोदामों में रखे-रखे खराब हो गये. एक्सपायर्ड 134 दवाअों सहित अन्य 125 अन्य सामान की कीमत करीब 45 करोड़ अांकी जा रही है. इस रकम में बड़ा हिस्सा दवाअों का ही है.
ताजा आकलन से यह राशि बढ़ या घट भी सकती है. एक्सपायर्ड दवाएं व अन्य चीजें आरसीएच परिसर, नामकुम स्थित गोदाम संख्या एक से छह में गत 10 वर्षों से पड़ी है. दरअसल स्वास्थ्य विभाग में हुए दवा घोटाले के बाद वर्ष 2009 में सीबीआइ ने आरसीएच परिसर में छापामारी की थी. अनुसंधान के क्रम में सीबीआइ ने 31 अगस्त 2009 को इंवेंटरी मेमो बनायी थी, जिसमें उक्त सामान का उल्लेख किया गया है. उस समय से सारी चीजें गोदामों में पड़ी है.
गोदाम संख्या एक व दो तो इंवेंटरी मेमो की चीजों से ही भरा है. वहीं गोदाम संख्या तीन से छह में इन सामान के अलावा दवाएं तथा डीप फ्रीजर भी हैं, जिनका इस्तेमाल विभाग करता है. तीन वर्ष पहले ही दवाएं व अन्य सामग्री की खरीद के लिए स्वास्थ्य विभाग ने झारखंड हेल्थ प्रोक्योरमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का गठन किया है.
अब दवाअों, फर्नीचर व अन्य चीजों की खरीद कॉरपोरेशन के जरिये ही होनी है. जब कॉरपोरेशन को खरीदी गयी चीजों को रखने के लिए जगह की आवश्यकता हुई, तब विभाग ने तीन माह पहले सीबीआइ को पत्र लिख कर पूछा कि क्या किया जाये. इस पर सीबीआइ के एसपी (आर्थिक अपराध विंग) ने विभाग को लिखा कि सीबीआइ ने उक्त सामानों की सिर्फ इंवेटरी मेमो बनायी थी, उन्हें जब्त नहीं किया था.
इसलिए यदि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) अपनी सुविधा अनुसार उक्त दवाओं, उपकरण व फर्नीचर आदि का स्थानांतरण या निपटारा करती है, तो सीबीआइ को कोई आपत्ति नहीं है. अब कई विभागीय अधिकारी यह सवाल कर रहे हैं कि जब यही होना था, तो समय पर क्यों नहीं हुआ. यदि नहीं हुआ, तो जिम्मेवारी किसकी है?
अब निपटारे के लिए बनी कमेटी
इधर, सीबीआइ के जवाब के बाद एक्सपायर्ड हो चुकी दवाअों के नियम संगत तरीके से निष्पादन तथा अन्य सामान के निपटारे के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी बेकार हो चुके पोस्टर-बैनर, किताब, पंपलेट को किलो के भाव बेचेगी. वहीं काम में आ सकने वाले फर्नीचर तथा रिपेयरिंग हो सकने वाले उपकरणों को ठीक करायेगी. एक्सपायर्ड दवाअों को जमीन में गाड़ने की प्रक्रिया तो अपनायी जा सकती है. पर यदि इन्हें बायो वेस्टवाले इंसिनिलेटर मशीन की सहायता से निपटाया जायेगा, तो इसमें कई लाख का खर्च आयेगा.
मामला पुराना है. इसमें मैं बहुत कुछ नहीं कह सकता. दवाअों व दूसरी चीजों के निबटारे के लिए कमेटी बना दी गयी है. वहीं अब सारी चीजें देखेगी.
डॉ राजेंद्र पासवान, निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य

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