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रांची : भाजपा नेता को पुलिस ने बताया था नक्सली, सीआइडी ने दी क्लीनचिट

अमन तिवारी खलारी थाना में 11 मार्च 2004 को दर्ज की गयी थी प्राथमिकी रांची : खलारी पुलिस ने चतरा के टंडवा बड़गांव निवासी विजय चौबे को बिना साक्ष्य के सिर्फ स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर नक्सली बना दिया था. इतना ही नहीं उसे फरार घोषित करते हुए न्यायालय में चार्जशीट भी दाखिल कर दिया […]

अमन तिवारी
खलारी थाना में 11 मार्च 2004 को दर्ज की गयी थी प्राथमिकी
रांची : खलारी पुलिस ने चतरा के टंडवा बड़गांव निवासी विजय चौबे को बिना साक्ष्य के सिर्फ स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर नक्सली बना दिया था. इतना ही नहीं उसे फरार घोषित करते हुए न्यायालय में चार्जशीट भी दाखिल कर दिया था. लेकिन सीआइडी की जांच में विजय चौबे के खिलाफ नक्सली होने से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं मिले.
जिसके आधार पर सीआइडी ने विजय चौबे को क्लीनचिट देते हुए नक्सली होने के आरोप से बरी कर दिया है. सीआइडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि विजय चौबे चतरा के मुखिया भी रहे हैं. वह भाजपा पार्टी से जुड़े हैं और पेशे से ठेकेदारी करते हैं. वह खुद ही नक्सलियों के डर से गांव में काम करते हैं.
क्या था मामला
सीआइडी के पुलिस अधीक्षक पी मुरूगन की जांच रिपोर्ट के अनुसार यह केस खलारी के तत्कालीन थाना प्रभारी अखिलेश्वर चौबे की शिकायत पर गिरफ्तार इंद्रजीत यादव उर्फ लालू के स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर विजय चौबे सहित अन्य 11 लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था.
केस 11 मार्च 2004 को दर्ज किया था. केस रोहिणी खदान में छापेमारी के दौरान एमसीसी के नाम पर लेवी वसूलने के आरोप में बालूमाथ निवासी इंद्रजीत यादव को गिरफ्तार करने के बाद हुआ था. उसने लेवी वसूलने से संबंधित बात को स्वीकार किया और 11 लोगों का नाम बताया था. पुलिस ने इस केस के अनुसंधान और सुपरविजन में रंगदारी वसूलने और नक्सली होने का आरोप 12 नामजद और दो अज्ञात पर सही पाया था.
सीआइडी ने शुरू किया था अनुसंधान
पुलिस ने पूर्व में इस केस में विजय चौबे और सिलवेस्टर को फरार, बैजू और मुरारी को मृत, मुन्ना खां, धनराज यादव, प्रसादी यादव और गौतम को असत्यापित तथा चंद्रेश यादव पर आरोप को सही नहीं पाते हुए, इंद्रजीत उर्फ लालू, चरितर यादव, सुखदेव यादव, रामाशंकरजी उर्फ सूबेदार यादव तथा अप्राथमिक अभियुक्त अमृत महतो के खिलाफ 30 अक्तूबर 2008 में न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था.
इसके साथ ही केस का अनुसंधान बंद कर दिया गया था. लेकिन तत्कालीन विधायक उमाशंकर अकेला के आवेदन पर न्यायालय से सहमति लेकर विजय चौबे की संलिप्तता पर सीआइडी से केस का अनुसंधान कराने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद सीआइडी ने केस का अनुसंधान शुरू किया था.
जानकारी नहीं होने की बात से इनकार
सीआइडी एसपी की जांच रिपोर्ट के अनुसार अनुसंधान के कई लोगों का बयान लिया गया. बयान में विजय चौबे का संबंध नक्सलियों के साथ होने या लेवी वसूली की बात से इनकार किया है. कुछ गवाहों ने बताया कि घटना से पहले विजय चौबे का विवाद टायर रिपेयरिंग को लेकर छोटू खान और परवेज से हुई थी.
छोटू खान नशा करने का आदि है. वह कभी भी किसी के बारे में कुछ भी बोल देता है. दोनों ने यह भी बताया कि पूर्व में विजय चौबे के खिलाफ क्या बयान दिया था, उन्हें इसके बारे में कुछ याद नहीं. वहीं दूसरी ओर सिलवेस्टर की मौत गुमला में पुलिस मुठभेड़ के दौरान 2015 में हो चुकी है.

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