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झारखंड सरकार के प्रस्ताव को केंद्र की सहमति, नगड़ी में अनाज वितरण की डीबीटी योजना खत्म
रांची : नगड़ी में पहल नाम से अक्तूबर 2017 में शुरू की गयी अनाज वितरण की डीबीटी पायलट योजना समाप्त कर दी गयी है. इस संबंध में भेजे गये राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने सहमति दे दी है. अब नगड़ी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के बजाय लाभुकों को एक रुपये प्रति किलो […]
रांची : नगड़ी में पहल नाम से अक्तूबर 2017 में शुरू की गयी अनाज वितरण की डीबीटी पायलट योजना समाप्त कर दी गयी है. इस संबंध में भेजे गये राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने सहमति दे दी है. अब नगड़ी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के बजाय लाभुकों को एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर से अनाज मिलेगा.
मालूम हो कि भोजन का अधिकार अभियान सहित खुद राज्य सरकार के सोशल अॉडिट में यह बात स्पष्ट हो गयी थी कि डीबीटी के पायलट प्रोजेक्ट से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुकों को परेशानी हो रही है.
नगड़ी के खाद्यान्न लाभुकों ने अपनी समस्याअों को लेकर 26 फरवरी 2018 को राजभवन मार्च कर राज्यपाल को इस संबंध में ज्ञापन दिया था. पहले की व्यवस्था में लोगों के खाते में चावल की पूरी कीमत हस्तांतरित की जाती थी. इसके बाद लोग अनाज खरीदते थे.
अब फिर से सीधे अनुदानित दर (एक रुपये प्रति किलो) पर लाभुकों को जन वितरण प्रणाली की दुकान से चावल मिलेगा. हालांकि सामाजिक अंकेक्षण से जुड़े गैर सरकारी संगठन के लोग अनाज के लिए लाभुकों के आधार लिंकेज तथा बायोमेट्रिक सिस्टम के अनिवार्य किये जाने का भी विरोध कर रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता व अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज जैसे लोगों का मानना है कि इससे गरीबों की खाद्य सुरक्षा बाधित होती है. पिछले कुछ माह में राज्य भर में तथाकथित रूप से भूख से हुई 12 मौत को भी आधार व बायोमेट्रिक सिस्टम के कारण हो रही फजीहत से जोड़ा जाता रहा है.
बंद अन्नपूर्णा योजना भी चालू : इधर खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लागू होने के बाद से ही बंद अन्नपूर्णा योजना भी फिर से शुरू हो गयी है. केंद्र सरकार ने राज्य के बुजुर्गों के लिए अप्रैल से सितंबर 2018 तक के (छह माह) लिए अन्नपू्र्णा योजना के मद में 549.39 टन खाद्यान्न का आवंटन किया है. इसका लाभ राज्य के वैसे 60 वर्ष या अधिक उम्रवाले 54939 बुजुर्गों को मिलना है, जो वृद्धावस्था पेंशन की अर्हता तो रखते हैं, पर उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है.
सभी बुजुर्गों को 10-10 किलो प्रति माह की दर से छह माह के लिए कुल 60 किलो चावल मिलेगा. अनाज पंचायत मुख्यालय की जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) दुकान से मिलना है, जहां अनाज लेते वक्त बुजुर्गों को कोई मूल पहचान पत्र (मतदाता पहचान पत्र, फोटो लगा बैंक पासबुक, आधार स्लिप या आधार कार्ड, किसान फोटो पासबुक या सीअो द्वारा निर्गत पहचान पत्र) दिखाना होगा. खाद्य आपूर्ति सचिव अमिताभ कौशल ने इस संबंध में सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर अपने जिले में 30 सितंबर तक अनाज का उठाव व वितरण सुनिश्चित कर अक्तूबर में विभाग को उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने का आग्रह किया है.
अब लाभुकों को अनुदानित दर पर मिलेगा अनाज
नगड़ी में पहल नाम से अक्तूबर 2017 में शुरू की गयी थी योजना
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के बजाय लाभुकों को एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर से अनाज मिलेगा
डीबीटी के पायलट प्रोजेक्ट से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभुकों को परेशानी हो रही है
कई एनजीओ लाभुकों के आधार लिंकेज तथा बायोमेट्रिक सिस्टम के अनिवार्य किये जाने का भी विरोध कर रहे हैं
97% लाभुकों को डीबीटी से थी नाराजगी
लंबे समय बाद लोगों की आवाज सुनी गयी. इस निराशाजनक माहौल में लोकतंत्र के लिए यह छोटी जीत है. सामाजिक अंकेक्षण के दौरान भोजन का अधिकार अभियान के समक्ष नगड़ी के 97 फीसदी लाभुकों ने डीबीटी से नाराजगी दिखायी थी. वहीं सरकार के अपने अंकेक्षण में भी यही बात साबित हुई. पर पता नहीं क्यों यह निर्णय लेने में चार माह लग गये. हमारी सरकार से गुजारिश होगी कि वह फिर से कोई नया प्रयोग करने के बजाय पीडीएस सिस्टम को सुदृढ़ करे.
ज्यां द्रेज, सामाजिक कार्यकर्ता व अर्थशास्त्री
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