रांची : विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन सोमवार को भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पर सदन में जोरदार हंगामा हुआ. पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने करीब एक घंटे तक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाये.
सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने भूमि अधिग्रहण में संशोधन को लूट का विधेयक बताते हुए स्पीकर से सरकार द्वारा इस पर पुनर्विचार कराने की मांग की.
स्पीकर दिनेश उरांव ने कहा कि अभी किसी भी विषय पर चर्चा का समय नहीं है. इस पर भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर खड़े हो गये, उन्होंने कहा : प्रदीप यादव आसन को गाइड कर रहे हैं. यह संसदीय व्यवस्था के विरुद्ध है. हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने सदन में कुछ कहने की मांग की. स्पीकर ने उन्हें मौका दिया.
इस बीच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्पीकर से कहा कि संशोधन पर राज्यपाल और राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है. उन्होंने आग्रह किया कि भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर चर्चा नहीं करायी जाये. अब सदन में इस पर बहस नहीं हो सकती. मुख्यमंत्री की बात सुन कर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा : जब स्पीकर ने मुझे बोलने का समय दिया है, तो सीएम क्यों खड़े हो गये.
सदन उनकी जागीर नहीं है. हेमंत सोरेन की इस टिप्पणी के बाद सत्ता पक्ष के विधायक भी जोर-जोर से बोलने लगे. श्रम मंत्री राज पलिवार के विरोध करने पर हेमंत ने उन्हें वेल में आने की चुनौती दे डाली. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने हेमंत सोरेन की भाषा का विरोध किया. इसके बाद शोक प्रस्ताव लाकर स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी.
धरना पर बैठे प्रदीप यादव
छह विधायकों को भाजपा में शामिल कराने के मामले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर झाविमो विधायक प्रदीप यादव सोमवार को विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गये.
उन्होंने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए इसमें शामिल लोगों पर एफआइआर दर्ज करने की मांग की. कुछ देर के लिए कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने भी उनका साथ दिया. हालांकि सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही दोनों धरने से उठ गये.
कोट
इस पर अब सदन में बहस नहीं होने की मुख्यमंत्री की टिप्पणी सही है. विपक्ष चाहे तो संशोधन का प्रस्ताव लाये. उनका प्रस्ताव सदन में पारित हो जायेगा, तो फिर से संशोधन होगा. अब यह विधेयक का पार्ट नहीं रहा. जब यह सदन का विषय ही नहीं रहा, तो इस पर चर्चा कैसे हो सकती है?
– राधाकृष्ण किशोर, मुख्य सचेतक, भाजपा
सरकार भूमि अधिग्रहण संशोधन पर सदन में चर्चा कराती है, तो 100 फीसदी कठघरे में खड़ी होगी. सरकार इस पर बहस कराये. हम संवैधानिक प्रक्रिया के तहत किसान, मजदूर जन विरोधी कानून के विरुद्ध सदन से लेकर सड़क तक आवाज बुलंद करेंगे.
– हेमंत सोरेन, नेता प्रतिपक्ष
भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर बहस नहीं, तो चर्चा तो हो ही सकती है. सदन से बाहर भी चर्चा करायी जा सकती है.
– आलमगीर आलम, कांग्रेस
बैठक के बाद राज्यपाल से मिले, ज्ञापन सौंपा
भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन रद्द करने की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने सोमवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की. उन्हें ज्ञापन सौंपा. आदिवासी व मूलवासी की भावना का ख्याल रखते हुए भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन को रद्द करने से संबंधित प्रस्ताव विधानसभा में लाने के लिए सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया.
कहा कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक जनता के हित में नहीं है. इसके लागू होने से राज्य सरकार अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक व निरंकुश तरीके से रैयतों की भूमि अधिग्रहित कर लेगी. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में ग्रामसभा एवं रैयतों की सहमति की अनिवार्यता समाप्त हो गयी है.
इससे पहले विपक्षी दल के नेताओं ने बैठक कर विधानसभा सत्र की रणनीति बनायी. संशोधन का विरोध करने का निर्णय लिया. नेता प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा : सरकार ने भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन कर सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है. अब यह जनता की आवाज को दबानेवाला अधिनियम बन गया है.
सरकार ने रैयतों की बहुफसलीय कृषि भूमि को अबाध रूप से अधिग्रहित करने का प्रावधान कर दिया है. इस जमीन की भरपाई मुआवजा से नहीं हो सकती है. पारित विधेयक में किसी प्रकार का परिवर्तन बिना विधानसभा की सहमति के विधिसम्मत नहीं है.
संशोधित अधिनियम की वैधानिकता भी सवालों के घेरे में है. राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने वालों में झाविमो विधायक प्रदीप यादव, राज कुमार यादव, दीपक बिरुआ, रवींद्र नाथ महतो, चंपई सोरेन, निरल पूर्ति, जोबा मांझी समेत कई नेता शामिल थे.
रांची : सदन में इस पर अब बहस नहीं हो सकती : मुख्यमंत्री
आज 2500 करोड़ का प्रथम अनुपूरक बजट
विधानसभा में 17 जुलाई को चालू वित्तीय वर्ष का प्रथम अनुपूरक बजट पेश किया जायेगा. सरकार करीब 2500 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश कर सकती है.
इसमें केंद्रीय व केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए भारत सरकार से मिली राशि का प्रावधान किया गया है. सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान ग्रामीण विकास को गति देने के लिए ग्राम विकास समिति और आदिवासी विकास समिति का गठन किया है.
इन समितियों को पांच-पांच लाख तक की योजनाओं को क्रियान्वित करने का अधिकार दिया है. इन समितियों के लिए मूल बजट में राशि का प्रावधान नहीं है. सरकार ने इन समितियों को अपने कोष से धन देने के लिए अनुपूरक बजट में करीब 200-300 करोड़ का प्रावधान किया है. एकीकृत बिहार के समय सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के पेंशन दायित्वों के लिए करीब 450 करोड़ का प्रावधान किया है.
भ्रम फैला रहा विपक्ष, करारा जवाब देंगे
राजनीतिक लाभ लेने के लिए भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल पर विपक्ष भ्रम फैला रहा है. लोगों को गुमराह कर रहा है. इसका करारा जवाब दिया जायेगा. यह बातें एनडीए के विधायकों ने कही. सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में एनडीए विधायक दल की बैठक हुई. इस मौके पर विचार-विमर्श कर रणनीति बनायी गयी.
मंत्रियों को तैयार हो कर विधानसभा में आने को कहा गया. साथ ही विधायकों को अपने क्षेत्र की बात मुखर होकर रखने का निर्देश दिया गया. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सत्तारुढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि संशोधन विधेयक में सोशल इंपैक्ट एसेसमेंट का सरलीकरण किया गया है.
यह ज्यादा टाइम टेकिंग था. विधयेक में किसी भी कॉरपोरेट घरानों को जमीन देने की बात नहीं की गयी है. विपक्ष हठधर्मिता को अपनाते हुए पिछले दो सत्र से सदन की कार्रवाई को बाधित कर रहा है. यह संवैधानिक लोकतंत्र के विपरीत है. विधेयक को राष्ट्रपति और राज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है. अब अगर विपक्ष को अपनी बात रखनी है, तो वह संशोधन विधेयक लाये.
इस पर स्पीकर सहमत होंगे तो चर्चा होगी. इस मौके पर रघुवर सरकार की ओर से किये गये कार्यों की विस्तार से चर्चा की गयी, ताकि विधायक खुल कर अपनी बात सदन में रख सकें. बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास, प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र चंद्रवंशी, लुईस मरांडी, चंद्र प्रकाश चौधरी, विधायक राधाकृष्ण किशोर, अनंत ओझा समेत पार्टी के विधायक मौजूद थे.