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चार करोड़ की लागत से बना राज्य का पहला गैर पारंपरिक ऊर्जा पार्क हो गया है बदहाल
अनदेखी. आठ नवंबर 2012 को तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने किया था उदघाटन देखरेख की जिम्मेदारी जेरेडा की है, आधा दर्जन कर्मचारी हो गये बेकार रांची : राजधानी के सिदो-कान्हू पार्क में बने राज्य के गैर पारंपरिक ऊर्जा पार्क का हाल बेहाल है. करीब चार करोड़ रुपये की लागत से बने इस पार्क में सोलर […]
अनदेखी. आठ नवंबर 2012 को तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने किया था उदघाटन
देखरेख की जिम्मेदारी जेरेडा की है, आधा दर्जन कर्मचारी हो गये बेकार
रांची : राजधानी के सिदो-कान्हू पार्क में बने राज्य के गैर पारंपरिक ऊर्जा पार्क का हाल बेहाल है. करीब चार करोड़ रुपये की लागत से बने इस पार्क में सोलर सिस्टम अब काम नहीं कर रहा है. इसके संचालन का प्रयास किया गया, लेकिन मेंटेनेंस ठीक नहीं होने कारण इससे जुड़े उपकरण यहां काम नहीं कर रहे हैं.
यहां काम में लगाये गये करीब आधा दर्जन कर्मी भी बेकार हो गये हैं. लोग मनोरंजन के साधन से वंचित हैं. इसका निर्माण जेरेडा ने वन विकास निगम की जमीन पर कराया है. इसकी देखरेख की जिम्मेदारी जेरेडा की है. वर्ष 2006 में इस पार्क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. आठ नवंबर 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इसका उदघाटन किया था. इंटरटेनमेंट के लिए कई मॉडल लगाये गये थे, पर मेंटेनेंस के अभाव में अधिकतर टूट गये.
25 किलोवाट बिजली तैयार करने की थी योजना
यहां 25 किलोवाट बिजली तैयार करने की योजना थी. यहां माइक्रो सोलर व हाइडल पावर प्लांट सहित विभिन्न तकनीकी मॉडल बनाने थे. 25 किलोवाट के सोलर प्लांट के अलावा वर्तमान फव्वारे के पानी से बिजली बनते लोगों को दिखाना था. पार्क को इनडोर व आउटडोर दो भागों में बांटा गया है. आउटडोर में चलायमान मॉडल व इनडोर में ऊर्जा के इतिहास व विभिन्न तकनीकी मॉडलों सहित उनके पूर्ण विवरण होने थे. इस पार्क के निर्माण का अनुमोदन वन विभाग व जेरेडा की तीन सदस्यीय कमेटी ने किया था.
ये चीजें हैं उपलब्ध
दो टॉय ट्रेन, म्यूजिकल फाउंटेन, बैटरी ऑपरेटेड तीन साइकिल, एक सोलर टॉय कार, हेल्थ साइकिल, पावर जेनरेटिंग ड्रम, एनर्जी स्लिप, सोलर पंप स्प्रिंकलर, सोलर सबमर्सिबल पंप, सोलर वाटर डिस्टिलेशन यूनिट, वाटर फॉल एनिमेशन आदि. इस पार्क के संचालन और प्रबंधन का काम जरेडा का है. वन विकास निगम ने जरेडा को स्थान उपलब्ध कराया है.
एचएस गुप्ता, प्रबंध निदेशक, वन विकास निगम
कुछ शरारती लोग वहां तोड़फोड़ कर देते हैं. इस कारण इसका मेंटेनेंस नहीं हो पाता है. जरेडा इसको चालू करने और इसकी सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है. जल्द ही इसे दुरुस्त किया जायेगा.
निरंजन कुमार, निदेशक, जरेडा
मौज-मस्ती के साथ होना था ज्ञानवर्द्धन
सिदो-कान्हू पार्क में बच्चों को मौज-मस्ती के साथ-साथ गैर पारंपरिक ऊर्जा के कई बिंदुओं से भी अवगत करना था. एनर्जी स्लिप में फिसलने का मजा देना था. पावर ड्रम में लुढ़कते हुए यह जानना था कि मोशन (गति) से बिजली कैसे बनती है. सोलर टॉय कार व बैटरी चालित साइकिल चलानी थी. सोलर बोट पर नौका विहार की योजना भी तैयार की गयी थी.
हॉल में बंद ज्ञान का पिटारा
सौर ऊर्जा के बारे में जानकारी देने के लिए बनाये गये हॉल के गेट का ताला कभी खुलता ही नहीं है. इस कारण यहां आनेवाले पर्यटक यहां रखे उपकरणों को नहीं देख पाते हैं.
यहां कई ऐसे उपकरण हैं, जिससे स्टूडेंट्स को सौर ऊर्जा के बारे में काफी जानकारी मिलती, लेकिन यहां आने पर उन्हें निराशा ही हाथ लगती है. अगर यह पार्क संचालित रहता, तो स्कूल के विद्यार्थी सहित शोधार्थियों को भी लाभ होता. उन्हें अध्ययन के लिए किसी अन्य जगहों की ओर रुख नहीं करना पड़ता.
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