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रांची : एक बार फिर एचइसी के भविष्य पर उठे सवाल?
घाटे में चल रहे उपक्रमाें पर केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बीमारू और घाटे में चल रही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर उसकी चल-अचल संपत्तियों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने के निर्णय लिया […]
घाटे में चल रहे उपक्रमाें पर केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म
रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बीमारू और घाटे में चल रही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को बंद कर उसकी चल-अचल संपत्तियों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण करने के निर्णय लिया गया. साथ ही खस्ताहाल उपक्रमों की जमीन का इस्तेमाल प्राथमिकता के आधार पर सस्ते मकानों की योजनाओं में करने का निर्णय लिया गया.
इधर, एचइसी पिछले चार वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा है. ऐसे में गुरुवार को इस मामले को लेकर एचइसी और आवासीय परिसर में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. हर कोई एचइसी को बचाने और ताला लगने को लेकर अपना-अपना तर्क दे रहा था. वहीं, एचइसी के अधिकारी इस पर खुल कर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
अधिकारियों का कहना है चूंकि यह निर्णय केंद्रीय कैबिनेट का है, इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. मालूम हो कि पिछले दिनों सांसद रामटहल चौधरी ने कहा था कि एचइसी में विनिवेश होगा. इसकी जानकारी उन्हें भारी उद्योग मंत्री ने दी थी. इसके बाद राज्य के सभी सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.
पिछले चार वर्षों से घाटे
में चल रहा है एचइसी
एचइसी पिछले चार वित्तीय वर्ष से घाटे में चल रहा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में एचइसी को 241.68 करोड़, वित्तीय वर्ष 2015-16 में 144.77 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 82.27 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.
हालांकि, एचइसी प्रबंधन ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के घाटे का आंकड़ा अब तक जारी नहीं किया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष में तुलनात्मक दृष्टिकोण से घाटा कम हुआ है.
एचइसी के अस्तित्व पर संकट : लालदेव सिंह
हटिया कामगार यूनियन के अध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि एचइसी के अस्तित्व पर संकट के बादल छा रहे हैं. क्योंकि, कंपनी लगातार चार वर्षों से लगातार घाटे में जा रही है. केंद्र सरकार एचइसी को कोई पैकेज भी नहीं दे रही है. एचइसी ने राज्य सरकार को पहले ही स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जमीन दी और करीब एक हजार एकड़ देना चाहती है.
स्मार्ट सिटी के शिलान्यास से सत्यानाश : भवन सिंह
हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के मिली भगत से एचइसी को बेचा जा रहा है. एचइसी की संपत्ति 70% बिक गयी है 30% बची है, वह भी धीरे-धीरे बिक जायेगी. जब स्मार्ट सिटी का शिलान्यास हुआ तभी से एचइसी का सत्यानाश शुरू हो गया.
एचइसी पर लागू नहीं होगा कैबिनेट का निर्णय : राणा
हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट की निर्णय एचइसी पर लागू नहीं होगा. एचइसी में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कम घाटा हुआ है. एचइसी को अगर राज्य सरकार (जमीन के एवज में) जल्द राशि दे देती है, तो एचइसी मुनाफा में आ जायेगा.
अपने संसाधन से करना है जीर्णोद्धार : जाकिर हुसैन
डिपार्टमेंट ऑफ हैवी इंडस्ट्री के निदेशक जाकिर हुसैन ने कहा कि एचइसी एक मेजर कंपनी है. जो भी कानून के दायरे में होगा, मंत्रालय सहयोग करेगा. एचइसी माइनिंग, स्टील, डिफेंस सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपकरण बनाता है. एचइसी को अपने संसाधन से ही प्लांटों का जीर्णोद्धार करना है.
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