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मजदूर दिवस विशेष : एचइसी कर्मियों का जज्बा, दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी हार नहीं मानी

रांची : समय के पाबंद, काम करते हुए खतरा झेला, दुर्घटनाग्रस्त हुए पर हार नहीं मानी. एचइसी के एक ऐसे ही कर्मचारी हैं अमरनाथ झा, जो इस वक्त एचएमबीपी के 02 शॉप में कार्यरत हैं. श्री झा ने वर्ष 2002 में बतौर सप्लाई कर्मी एचइसी में कार्य शुरू किया. वर्ष 2016 में कार्य के दौरान […]

रांची : समय के पाबंद, काम करते हुए खतरा झेला, दुर्घटनाग्रस्त हुए पर हार नहीं मानी. एचइसी के एक ऐसे ही कर्मचारी हैं अमरनाथ झा, जो इस वक्त एचएमबीपी के 02 शॉप में कार्यरत हैं. श्री झा ने वर्ष 2002 में बतौर सप्लाई कर्मी एचइसी में कार्य शुरू किया. वर्ष 2016 में कार्य के दौरान अचानक लोहे की सिलिंग उनके दाहिने हाथ के पंजे पर गिर गयी. इससे हाथ की तीन उंगलियां हाथ से अलग हो गयीं. चिकित्सकों ने सर्जरी की. वे तीन माह तक अस्पताल में रहे. छह लोगों के परिवार में अमरनाथ इकलौते कमानेवाले थे. अस्पताल में रहने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब होते गयी. अमरनाथ बताते हैं घर में मां, पत्नी, दो पुत्र और एक पुत्री है. बच्चे सभी स्कूल जाते हैं. पढ़ाई और खाने का खर्च अलग. लेकिन उन्होंने सोचा कि अगर वह निराश हो जायेंगे, तो परिवार बिखर जायेगा. अपने इसी जज्बे के कारण आज वे फिर से एचइसी में उसी जगह पर कार्यरत हैं, जहां पहले थे.

अपने काम से एचइसी को करोड़ों का मुनाफा कराया
रांची : नाम चंदेश्वर प्रसाद, काम : सीएनसी होरिजेंटल बोरिंग मशीन ऑपरेटर, 020 शॉप, एचएमबीपी, एचइसी में. हुनर ऐसा कि कोई भी कार्य में लगा दिया जाये, पूरा करके ही दम लेते हैं. एचइसी प्रबंधन ने उनके कार्य को देखते हुए कई बार पुरस्कृत भी किया है. उन्होंने पांच क्यूबिक मीटर एक्सवेटर का रिवॉल्विंग फ्रेम, ट्रक फ्रेम, रिड्यूसर बॉडी, 10 क्यूबिक मीटर का सैंडिली ब्लॉक, डोर बॉडी एसेंबली, अपर बूम सेक्शन, क्रशर मशीन का गियर ह्वील, पैडेस्टल बॉडी, बुश डायमीटर, हॉलो साफ्ट, इंटरमीडियेट साफ्ट, मेन साफ्ट, गेट फ्रेम आदि नयी मशीनें बनायी और पुरानी खराब हुई मशीनों को दुरुस्त भी किया है. इनके इस हुनर की वजह से ही एचइसी को करोड़ों रुपये का मुनाफा भी हुआ है. वहीं, उनके सहकर्मियों की मानें, तो चंदेश्वर प्रसाद जैसे हुनरमंद कर्मी एचइसी में गिने-चुने ही बचे हुए हैं.

एचइसी को बचाने के लिए एक मंच पर आये थे श्रमिक संगठन
एशिया की सबसे बड़ी कंपनी एचइसी में विनिवेश की बात सामने आते ही एचइसी के विभिन्न श्रमिक संगठनों में खलबली मच गयी. हर कोई अपने स्तर से एचइसी को बचाने का प्रयास करने लगा. एचइसी के श्रमिक संगठनों ने एचइसी को बचाने के लिए सबसे पहले एक मंच पर आकर आंदोलन करने का निर्णय लिया. इसमें हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन, हटिया कामगार यूनियन, हटिया मजदूर यूनियन, हटिया मजदूर लोग मंच, जनता मजदूर यूनियन ने साझा कार्यक्रम बनाया. श्रमिक संगठनों ने बैठकें की. मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, भारी उद्योग मंत्री, झारखंड के सभी सांसद को पत्र लिखा कि अगर एचइसी में विनिवेश हुआ, तो मातृ उद्योग का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा. श्रमिक संगठनों और सांसदों की पहल पर एक बार फिर एचइसी में विनिवेश का मामला फिलहाल लटक गया. श्रमिक नेता लालदेव सिंह कहते हैं कि श्रमिक संगठनों ने अपने-अपने मुद्दों को त्याग कर एक मंच पर आकर एचइसी को बचाने का जो कार्य किया है, वह एचइसी के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. श्रमिक संगठनों ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजो व हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था.

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