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रांची : गवाही देने नहीं पहुंचे नवीन, स्पीकर हुए नाराज, जानें पूरा मामला
यह तो नेग्लिजेंसी का मामला है, जिम्मेदारी समझनी होगी दल-बदल मामला अध्यक्ष ने 27 अप्रैल तक सभी गवाहों का शपथनामा जमा करने का दिया आदेश रांची : दल-बदल मामले में शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव के कोर्ट में विधायक नवीन जायसवाल की भी गवाही होनी थी, लेकिन कोलकाता में वीजा संबंधी मामले के […]
यह तो नेग्लिजेंसी का मामला है, जिम्मेदारी समझनी होगी दल-बदल मामला
अध्यक्ष ने 27 अप्रैल तक सभी गवाहों का शपथनामा जमा करने का दिया आदेश
रांची : दल-बदल मामले में शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव के कोर्ट में विधायक नवीन जायसवाल की भी गवाही होनी थी, लेकिन कोलकाता में वीजा संबंधी मामले के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण वह गवाही में शामिल नहीं हो सके. अध्यक्ष डॉ उरांव ने इसका कारण जानना चाहा. उन्हें जब जानकारी दी गयी, तो उन्होंने कहा कि यह मामला नेग्लिजेंसी (उपेक्षा) का है. उनको जिम्मेदारी समझनी चाहिए. कोई दिमाग में बैठा लेगा, तो कुछ नहीं हो सकता है. अध्यक्ष ने 27 अप्रैल तक प्रतिवादी की ओर से सभी गवाहों का शपथनामा जमा करने का आदेश दिया. इस दिन विधायक नवीन जायसवाल समेत दो की गवाही होगी.
श्री जायसवाल के अधिवक्ता 27 अप्रैल को उनकी उपस्थिति पर कुछ बात रखना चाह रहे थे, लेकिन अध्यक्ष ने इसे मानने से इनकार कर दिया. इससे पूर्व इस मामले में झारखंड राज्य खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ और धनबाद के डिप्टी मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की गवाही हुई. श्री अग्रवाल ने कहा कि विधायक के साथ सभी कार्यकर्ता भाजपा के सदस्य हैं. वहीं संजय सेठ ने अधिवक्ता को बताया कि वह 2010 में 25-30 दिन के लिए झाविमो में गये थे. अब वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं. अभी भी बाबूलाल जी से बात होती है. वह राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे. उनकी पार्टी का भाजपा में विलय की बात हो रही थी. वह अमित शाह और रवींद्र राय के संपर्क में थे. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह संभावना और बढ़ गयी थी. उन्होंने कहा कि यह बातें सुनी हुई हैं.
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