लिया संज्ञान. प्रधान सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्तों को लिखा पत्र, कहा
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दोषियों को करें चिह्नित, तय सीमा में प्रमाण पत्र नहीं बने, तो होगी कार्रवाई
लिया संज्ञान. प्रधान सचिव ने राज्य के सभी उपायुक्तों को लिखा पत्र, कहा रांची : कार्मिक, प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे ने सारे उपायुक्तों को तय समय सीमा के अंदर जाति, स्थानीय व आय प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है. उनसे कहा गया है कि झारखंड राज्य सेवा देने की […]
रांची : कार्मिक, प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे ने सारे उपायुक्तों को तय समय सीमा के अंदर जाति, स्थानीय व आय प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है. उनसे कहा गया है कि झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम के तहत सारे सर्टिफिकेट जारी किये जायें. उन्होंने स्पष्ट किया कि जाति, स्थानीय व आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 30 कार्य दिवस तय किये गये हैं, लेकिन समीक्षा में यह पाया जा रहा है कि आवेदकों को काफी विलंब से सर्टिफिकेट मिल रहा है.
बड़ी संख्या में सर्टिफिकेट लंबे समय तक लंबित रखा जा रहा है. प्रधान सचिव ने लिखा है कि कई बार नियोजन, नामांकन, सरकारी योजनाअों आदि के मामले में कार्यालय व संस्थानों द्वारा ऐसे प्रमाण पत्रों की मांग 30 दिन के पहले की जा रही है. आवेदक की आवश्यकताअों को देखते हुए झारसेवा पोर्टल में तत्काल सेवा की व्यवस्था की गयी है. यानी आवेदकों को तत्काल सेवा के तहत जल्द से जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना है.
यह भी पाया जा रहा है कि तत्काल सेवा भी कारगर नहीं हो रहे हैं. ऐसे में तत्काल सेवा को लागू किया जाये. आवेदकों को जल्द से जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये जायें. प्रधान सचिव ने उपायुक्तों को लिखा है कि प्रमाण पत्र जारी होने में विलंब के लिए दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों को चिह्नित किया जाये. साथ ही उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाये.
निर्देश
समीक्षा में पाया गया है कि काफी समय से लंबित है प्रमाण पत्र जारी होना
झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम के तहत सारे सर्टिफिकेट जारी करें
आवेदकों को तत्काल सेवा के तहत जल्द से जल्द प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये जायें
दौड़ाया जा रहा है विद्यार्थियों को
आवासीय, जाति व आय प्रमाण पत्र के लिए विद्यार्थियों को अंचल कार्यालयों में दौड़ाया जा रहा है. क्या-क्या दस्तावेज इसके लिए आवश्यक हैं, यह भी ठीक से नहीं बताया जाता है. कर्मचारी मनमानी करते हैं. आवेदकों के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है. बिना कारण बताये आवेदन रिजेक्ट किये जा रहे हैं. प्रज्ञा केंद्रों पर आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने के लिए आनेवाले आवेदकों से खतियान, जमीन का डीड और नौकरी से संबंधित सर्विस बुक (माता-पिता की) की कॉपी मांगी जा रही है.
जिनके पास जमीन और नौकरी नहीं है, वैसे आवेदक निराश लौट रहे हैं. राज्य सरकार की नियुक्तियों में स्थानीयता प्रमाण पत्र मांगा गया है. छात्रों के अंदर कई तरह के भ्रम हैं. छात्रों के माता-पिता 30 वर्षों से भी अधिक समय से झारखंड में रह रहे हैं. वे इससे संबंधित प्रमाण भी उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन प्रमाण पत्र मिलने में परेशानी हो रही है. कई जगहों पर अब भी खतियान मांगा जा रहा है.
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