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झारखंड : मानव संसाधन विभाग न किताब ले रहा न पैसा

टीआरआइ के पास 23 लाख की किताबें व 27 लाख नकद राशि पड़ी है टीआरअाइ की अोर से मानव संसाधन विभाग को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं रांची : कल्याण विभाग से संबद्ध जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) से मानव संसाधन विभाग न अपनी किताबें ले रहा है अौर न ही बचा हुआ 27 […]

टीआरआइ के पास 23 लाख की किताबें व 27 लाख नकद राशि पड़ी है
टीआरअाइ की अोर से मानव संसाधन विभाग को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं
रांची : कल्याण विभाग से संबद्ध जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) से मानव संसाधन विभाग न अपनी किताबें ले रहा है अौर न ही बचा हुआ 27 लाख रुपया. दोनों चीजें गत सात वर्षों से टीअारआइ के पास पड़ी हैं. इस दौरान टीआरअाइ की अोर से मानव संसाधन विभाग को कई पत्र लिखे गये. विभाग से कहा गया कि अपनी किताबें व बचा हुआ पैसा वापस ले जायें. यह भी पूछा गया कि पैसा किस अकाउंट में भेजा जाये, कृप्या बतायें. पर मानव संसाधन विभाग इसमें रुचि नहीं ले रहा है.
इधर, सरकार के करीब 50 लाख (27 लाख नकद व 23 लाख किताब के प्रकाशन पर खर्च) रुपये गत सात वर्षों से फंसे हुए हैं. दरअसल मानव संसाधन विभाग ने वर्ष 2010 में बिरसा मुंडा पर एक चित्र कथा का प्रकाशन कराया था.
स्कूली बच्चों के लिए तीन भाग में छपी अमर शहीद बिरसा मुंडा की चित्र कथा का प्रकाशन टीआरआइ ने किया था. करीब 23 लाख रुपये की लागत से चित्रकथा के कुल 34770 सेट (एक लाख चार हजार 310 कॉपी) प्रकाशित हुए थे. पर लोकार्पण के बाद बंटी करीब डेढ़ सौ सेट चित्रकथा को छोड़ दें, तो स्कूली बच्चों के बीच इनका नि:शुल्क वितरण आज तक नहीं हो सका है तथा किताबें टीआरआइ में डंप हैं. वहीं 27 लाख रुपये भी वर्षों से रखे हुए हैं.
नियुक्ति नियमावली का प्रारूप हुआ तैयार
कल्याण विभाग के जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) की 1953 में स्थापना के 65 वर्ष बाद इसकी नियुक्ति नियमावली का प्रारूप तैयार हुआ है. एक अधिकारी के अनुसार, इस संबंध में प्रभात खबर में समाचार छपने के बाद विभाग तथा संस्थान इस पर गंभीर हुआ. अब इस प्रारूप में संभावित संशोधन तथा इस पर विभागीय अनुमोदन की प्रक्रिया चल रही है.
गौरतलब है कि टीअारआइ में इसके निदेशक, उप निदेशक व शोध पदाधिकारियों सहित विभिन्न पद रिक्त हैं. कुछ पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति कर काम चलाया जा रहा है. पर स्थायी रूप से पदों के भरने में नियुक्ति नियमावली का न होना आड़े आ रहा है.

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