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कोर्स में अनुपलब्ध व अप्रकाशित पुस्तकें शामिल करने का विरोध
रांची. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्यकारों के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात की व उन्हें छह सूत्री ज्ञापन सौंपा़ इसमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के एचओडी व पाठ्यक्रम समिति द्वारा अनुपलब्ध व अप्रकाशित पुस्तकों को कोर्स में शामिल करने, साहित्यकारों व विद्यार्थियों द्वारा विरोध के बावजूद इसमें बदलाव नहीं […]
रांची. जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्यकारों के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास से मुलाकात की व उन्हें छह सूत्री ज्ञापन सौंपा़ इसमें जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के एचओडी व पाठ्यक्रम समिति द्वारा अनुपलब्ध व अप्रकाशित पुस्तकों को कोर्स में शामिल करने, साहित्यकारों व विद्यार्थियों द्वारा विरोध के बावजूद इसमें बदलाव नहीं करने और सिलेबस में साहित्यकारों की उपेक्षा पर विरोध जताया गया़
इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री से मांग की गयी कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा अकादमी का गठन किया जाये, झारखंडी साहित्यकारों की पुस्तकों के प्रकाशन, विक्रय व वितरण की व्यवस्था व साहित्यकारों को उचित रॉयल्टी की व्यवस्था हो, कमजोर आर्थिक स्थिति वाले झारखंडी साहित्यकारों, कलाकारों, झारखंड आंदोलनकारियों और राज्य के विकास में सहयोग देनेवालों अथवा उनके आश्रितों को आजीवन पेंशन दी जाये़ प्रतिनिधिमंडल में नागपुरी साहित्यकार मधु मंसूरी ‘हंसमुख’, कुरमाली साहित्यकार रतन कुमार महतो, नागपुरी साहित्यकार शकुंतला मिश्र व कुड़ुख साहित्यकार डॉ शांति खलखो शामिल थीं.
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