रांची: चर्च रोड, विक्रांत चौक, अंसार नगर स्थित मस्जिद-ए-जाफरिया में गुरुवार को अशरे अरबइन की नौंवी मजलिस हुई. इसका आयोजन खानवादे अनवर हुसैन ने किया. मजलिस का खेताब कर मौलाना जहीन हैदर दिलकश ने कहा कि कर्बला की जंग बातील पर हक की जीत है, कर्बला की जंग अमन का पैगाम देती है, जिसमें हजरत इमाम हुसैन ने अपनी अजीम कुर्बानी पेश कर अमन का परचम बुलंद कर इस्लाम को नयी जिंदगी दी. जिसको यजीद जैसा आतंकवादी बदनाम करना चाहता था.
हजरत इमाम हुसैन ने कुरबानी पेश कर सच्चाई का सामना करना सिखाया और मजलूम का साथ देना सिखाया. हजरत इमाम हुसैन किसी एक मजहब या धर्म के देवता का नाम नहीं है बल्कि मानवता और इंसानियत के देवता का नाम है. हम आजादारी, मातमदारी, ताजयादारी कर ये बताते हैं कि काश हम उस समय कर्बला के मैदान में होते तो हजरत इमाम हुसैन का साथ देते. मजलिस में शबीह अब्बास गोपालपुरी, शहंशाह जफर मुस्तफाबादी, अता इमाम, नेहाल हुसैन, अशरफ हुसैन, कासिम अली, असगर आदि ने पेशखानी और नौहाखानी की. इसके बाद नवासे रसूल और हजरत अली के पुत्र हजरत इमाम हुसैन और हजरत अब्बास की याद में अलम और ताबूत निकाला गया. मौके पर मौलाना नसीर आबदी, जावेद हैदर, तनवीर अनवर, गुलाम सरवर, तौकीर हसन, सुलेमान कुली, मेंहदी इमाम, एतेशाम अब्बास, इमाम, यासिर, पप्पन, इकाब हुसैन, असफर नकवी, नवाब अली सहित अन्य उपस्थित थे. मजलिस में पतरातू, रामगढ़, बोकारो सहित अन्य जगहों से भी लोग शामिल होने के लिए आये थे.