मुफलिसी में जी रहे ये कर्मी एक-एक दिन काटते हुए अक्तूबर आने की प्रतीक्षा में थे. पर बिहार सरकार की अोर से करीब 68 करोड़ रुपये जमा करने के बजाय सिर्फ दो करोड़ रुपये उपलब्ध कराने से कर्मियों में हताशा है. दरअसल इन कारखानों में वर्ष 1993 से ही वेतन भुगतान बाधित होने लगा था, जो बाद में पूरी तरह बंद हो गया. इससे कर्मचारियों के वेतन, भविष्य निधि व अन्य मद में करोड़ों का बकाया हो गया है.
इसी के बाद कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए निगम के प्रबंध निदेशक को हर हाल में एक अक्तूबर तक सारी रकम जमा करने को कहा था. अब हाइटेंशन कारखाना परिसर को लीज पर देने से जो शुल्क मिला है, उसी में से दो करोड़ रुपये कोर्ट में जमा कराये गये हैं. मामले की सुनवाई छह अक्तूबर को होनी है. गौरतलब है कि इस दौरान इइएफ के 419 तथा हाइटेंशन व अन्य कारखानों के करीब 400 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये. इनमें से कुछ की असमय मौत भी हो गयी है. अभी वर्तमान में सभी चार कारखानों को मिला कर करीब दो सौ कर्मचारी कार्यरत हैं. अकेले इइएफ के कुल 476 पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों का ही विभिन्न मद में करीब 22 करोड़ रुपये बकाया है.