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जमा करने थे 68 करोड़ जमा किये सिर्फ दो करोड़

रांची : कर्मचारियों को अक्तूबर माह में उनके बकाया का पूरा भुगतान होना था, जो अब मुश्किल लग रहा है. ये कर्मी बिहार राज्य अौद्योगिक विकास निगम के अधीन इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट फैक्टरी (इइएफ) टाटीसिलवे, हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी (एचटीआइएफ), मैलुबल कास्ट आयरन व स्वर्ण रेखा घड़ी कारखाना सामलौंग के हैं. मुफलिसी में जी रहे ये कर्मी […]

रांची : कर्मचारियों को अक्तूबर माह में उनके बकाया का पूरा भुगतान होना था, जो अब मुश्किल लग रहा है. ये कर्मी बिहार राज्य अौद्योगिक विकास निगम के अधीन इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट फैक्टरी (इइएफ) टाटीसिलवे, हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी (एचटीआइएफ), मैलुबल कास्ट आयरन व स्वर्ण रेखा घड़ी कारखाना सामलौंग के हैं.

मुफलिसी में जी रहे ये कर्मी एक-एक दिन काटते हुए अक्तूबर आने की प्रतीक्षा में थे. पर बिहार सरकार की अोर से करीब 68 करोड़ रुपये जमा करने के बजाय सिर्फ दो करोड़ रुपये उपलब्ध कराने से कर्मियों में हताशा है. दरअसल इन कारखानों में वर्ष 1993 से ही वेतन भुगतान बाधित होने लगा था, जो बाद में पूरी तरह बंद हो गया. इससे कर्मचारियों के वेतन, भविष्य निधि व अन्य मद में करोड़ों का बकाया हो गया है.

इधर, वेतन व अन्य बकाया भुगतान को लेकर दायर कर्मचारी महासंघ की जनहित याचिका (सं- 6507/2010) की सुनवाई के बाद झारखंड उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने अपने आदेश (संख्या 14, दिनांक 29 अक्तूबर 2012) में बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम को बकाया भुगतान के लिए झारखंड उच्च न्यायालय में 75 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था. इसके बाद निगम ने सात करोड़ रुपये जमा करते हुए यह कहा था कि शेष रकम भी जमा करा दी जायेगी, पर पांच वर्ष बाद भी शेष 68 करोड़ रुपये कोर्ट में जमा नहीं किये गये थे. बाद में कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय से गुजारिश की थी कि पूर्व के आदेश के आलोक में निगम से शेष राशि जमा करवा कर उन्हें राहत दिलायी जाये.

इसी के बाद कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए निगम के प्रबंध निदेशक को हर हाल में एक अक्तूबर तक सारी रकम जमा करने को कहा था. अब हाइटेंशन कारखाना परिसर को लीज पर देने से जो शुल्क मिला है, उसी में से दो करोड़ रुपये कोर्ट में जमा कराये गये हैं. मामले की सुनवाई छह अक्तूबर को होनी है. गौरतलब है कि इस दौरान इइएफ के 419 तथा हाइटेंशन व अन्य कारखानों के करीब 400 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गये. इनमें से कुछ की असमय मौत भी हो गयी है. अभी वर्तमान में सभी चार कारखानों को मिला कर करीब दो सौ कर्मचारी कार्यरत हैं. अकेले इइएफ के कुल 476 पूर्व व वर्तमान कर्मचारियों का ही विभिन्न मद में करीब 22 करोड़ रुपये बकाया है.

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