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सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ इंडीजिनस फूड एंड कुजिन संस्था कर रही है प्रमोट, परंपरागत झारखंडी खान-पान को दिया जा रहा बढ़ावा

रांची: आजकल आदिवासी गांवों में भी डुंबू (चावल से बना व्यंजन) को लोग भूलते जा रहे हैं. महुआ को लोग सिर्फ मादक पदार्थ से जोड़ कर देखते हैं, पर इसे भोजन के रूप में भी खाया जाता है. मड़ुआ रोटी का प्रयोग भी कम हो गया है, इसकी जगह गेहूं के आटे की रोटी ज्यादा […]

रांची: आजकल आदिवासी गांवों में भी डुंबू (चावल से बना व्यंजन) को लोग भूलते जा रहे हैं. महुआ को लोग सिर्फ मादक पदार्थ से जोड़ कर देखते हैं, पर इसे भोजन के रूप में भी खाया जाता है. मड़ुआ रोटी का प्रयोग भी कम हो गया है, इसकी जगह गेहूं के आटे की रोटी ज्यादा पसंद की जाने लगी है. पर कुछ लोग हैं, जो मानते हैं कि परंपरागत झारखंडी खान-पान ज्यादा समृद्ध है.

आजकल की मिलावटी चीजों से वह कहीं ज्यादा बेहतर अौर पोषक तत्वों से भरपूर था. सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ इंडीजिनस फूड एंड कुजिन एक ऐसी संस्था है, जो झारखंड के मूल खानपान से जुड़ी चीजों को प्रमोट कर रहा है.

संस्था के द्वारा अजम एंबा (उरांव भाषा में इसका अर्थ बहुत स्वादिष्ट होता है) ब्रांड नेम के साथ मड़ुआ, महुआ, गोंदली धान, गोड़ा चावल, उरद दाल, चाकोड़ साग आदि के तरह-तरह के डिश बनाकर उन्हें प्रमोट किया जा रहा है. कांके निवासी अरुणा तिर्की नामक उद्यमी महिला इसके प्रचार में जुटी है. संस्था को यूनिसेफ अौर वर्ल्ड सोलेडेरिटी सेंटर जैसी संस्थाअों का भी सहयोग मिला है. अरुणा तिर्की ने कहा कि पहले हमारे पूर्वज इन्हीं खाद्य पदार्थों की बदौलत स्वस्थ रहते थे अौर लंबी उम्र तक जीते थे. पर अब आधुनिक खाद्य पदार्थों के प्रभाव अौर बिगड़ती जीवनशैली से गांव के लोगों को भी तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं. हम लोगों को बताते हैं कि हमारे खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व तो हैं ही, इनमें अौषधीय गुण भी हैं. अजम एंबा के नाम से पैकेजिंग कर मड़ुआ का लड्डू, मड़ुआ का केक आदि बाजार में उतारा गया है. इसी तरह महुआ के भी लड्डू अौर अचार बाजार में उतारे गये हैं. इस तरह के दर्जनों उत्पाद हैं, जिन्हें नये स्वरूप में उपलब्ध कराया जा रहा है.
किस खाद्य पदार्थ में क्या है
मड़ुआ : प्रोटीन, आयरन, फोलिक एसिड. इससे रोटी, केक, लड्डू बनाये जा रहे हैं.
अौषधीय गुण : यह डायबिटीज कंट्रोल करने अौर खून की कमी दूर करने में उपयोगी है.
महुआ : आयरन. इसके लड्डू, अचार अौर जेली तैयार किये गये हैं.
ब्राउन राइस, गोड़ा धान, गोंदली : कार्बोहाइड्रेट.
चाकौड़ साग : कैलशियम. यह भी डायबिटीज कंट्रोल करने के काम आता है.
कटई साग : आयरन.
इसके अलावा संधना, बेर, पुटकल अौर महुआ के अचार तैयार किये गये हैं. चिकन पीठा, डुंबू भी बनाये जा रहे हैं.

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