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एक फीसदी अमीर लोगों के पास देश का 58% धन

रांची : सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स एजेंडा 2030 पर सिविल सोसाइटी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट को लीड्स के निदेशक एके सिंह ने सोमवार को होटल मरकरी में जारी किया़ यह रिपोर्ट वादा न तोड़ो अभियान के नेतृत्व में तैयार की गयी है़. रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी सिर्फ आय व […]

रांची : सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स एजेंडा 2030 पर सिविल सोसाइटी ने अपनी रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट को लीड्स के निदेशक एके सिंह ने सोमवार को होटल मरकरी में जारी किया़ यह रिपोर्ट वादा न तोड़ो अभियान के नेतृत्व में तैयार की गयी है़.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबी सिर्फ आय व संसाधनों का अभाव नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक भेदभाव, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, स्वच्छता व निर्णय लेने में सहभागिता का अभाव जैसी बातें भी निहित है. भारत के एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश का 58 प्रतिशत धन है़ बाल एवं महिला विकास, भारत सरकार के एक सर्वे के अनुसार 44 प्रतिशत किशोरियां अतिकुपोषित व कमजोर की श्रेणी में हैं, जो अधिकांशत: सामाजिक बहिष्कृत जातियां जैसे- दलित व अनुसूचित जनजाति की है़ं


देश में स्वास्थ्य संबंधी खर्च का 62 प्रतिशत लोगों को खुद उठाना होता है़ यह गरीब व अपवर्जित वर्ग के लिए एक बड़ा बोझ है़ सरकार स्वास्थ्य पर जीडीपी का सिर्फ 1़ 3 प्रतिशत खर्च करती है़ वहीं, शिक्षा के बेहतर कार्यान्वयन को देश के केंद्रीय बजट में पूर्णत: दरकिनार किया गया है़ इतने वर्षों में बजट में मात्र 1000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गयी है़ नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस- 4)के अुनसार 53 प्रतिशत महिलाओं में रक्त की कमी है़ लोकसभा में सिर्फ 12 प्रतिशत महिलाएं है़ं समाज में जाति, धर्म व सांस्कृतिक प्रचलन लैंगिक असमानता को बढ़ावा दे रहे है़ं 7़ 6 करोड़ लोगों के पास पीने योग्य स्वच्छ पानी नहीं पहुंच पाया है़

ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व का सबसे असमान देश है़ 20़ 10 करोड़ की आबादी जातिगत भेदभाव व हिंसा के कारण मुख्यधारा से दूर हो गयी है़ शहरों की एक बड़ी जनसंख्या अभी भी बेघर है और झुग्गियों में जीवन बिताने को विवश है़

देश में न्याय और समानता पर आधारित कदम उठाने की जरूरत है़ जलश्रोतों का संवर्द्धन, वनों व वन उत्पादों का संरक्षण, जैव विविधता का संवर्द्धन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर काम करने की जरूरत है़ हाशिये के लोगों के लिए नये कानून व प्रावधान आये हैं, पर भ्रष्ट नीतियों और उनके क्रियान्वयन के कारण लक्ष्य अभी भी दूर है़ देश के कई हिस्सों में विभिन्न समुदायों के बीच खास कर दलित व मुस्लिम समुदायों के बीच भेदभाव और हिंसात्मक संघर्ष जारी है़ इस अवसर पर विनोबा भावे विवि के वीसी प्रो रमेश शरण, लीड्स के सलाहकार मधुकर, लोकस्वर की सचिव शालिनी संवेदना, सिटीजन फाउंडेशन के सचिव गणेश रेड्डी, जन शिक्षण केंद्र के निदेशक निखिलेश मैती, सेव द चिल्ड्रेन के स्टेट हेड महादेव हंसदा, एक्सआइएइस के अनंत कुमार व सच्चिदानंद भी मौजूद थे़.

कैसे तैयार हुई रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को 15 से भी अधिक राज्यों के निजी शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों व सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने मिल कर कई शोध के माध्यम से तैयार किया है़ इसे तैयार करने में 62 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया व 300 से अधिक सिविल सोसाइटी संगठनों ने इसका समर्थन किया़

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