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पहल: योजना संचालन पर खर्च होगा 63 करोड़, सरकार ने दी स्वीकृति, स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू होगी ज्ञानोदय योजना

रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ज्ञानोदय योजना तैयार की है. कैबिनेट ने विभाग द्वारा तैयार इस योजना को अपनी स्वीकृति दे दी है. स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा को लेकर तैयार किये गये इस योजना के संचालन पर 63.60 करोड़ रुपये खर्च होगा. स्कूली […]

रांची : स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ज्ञानोदय योजना तैयार की है. कैबिनेट ने विभाग द्वारा तैयार इस योजना को अपनी स्वीकृति दे दी है. स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा को लेकर तैयार किये गये इस योजना के संचालन पर 63.60 करोड़ रुपये खर्च होगा. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग इसके लिए विशेषज्ञों की मदद लेगा.

विद्यालय के कार्यों व रिजल्ट के आकलन के लिए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसइक्यूआइ) विकासित किया गया है. नीति आयोग द्वारा एसइक्यूआइ के आधार पर राज्यों का मूल्यांकन वर्तमान वित्तीय वर्ष से प्रारंभ किया गया है. प्रत्येक वर्ष की स्थिति का मूल्यांकन कर शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों के पारस्परिक स्थान का निर्धारण किया जायेगा. नीति आयोग द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में परिणाम को नियमित अंतराल पर मापने के लिए की गयी व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का गठन किया जायेगा. यूनिट स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के अधीन काम करेगा.

पीएमयू प्राथमिक शिक्षा निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, झारखंड शिक्षा परियोजना, माध्यमिक शिक्षा परियोजना के साथ समन्वय स्थापित कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए किये जा रहे कार्य का निगरानी करेगा व सरकार को सलाह देगा. पीएमयू राज्य एवं जिला स्तर पर कार्यशाला का आयोजन कर एसइक्यूआइ के बारे में जानकारीदी जायेगी.
विभाग करेगा विशेषज्ञों का चयन
पीएमयू के विशेषज्ञों का चयन स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा किया जायेगा. पदवार मापदंड का निर्धारण, चयन की प्रक्रिया व चयन के लिए विभागीय सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जायेगा. कमेटी में प्राथमिक शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक, झारखंड माध्यमिक शिक्षा परियोजना निदेशक, योजना सह वित्त विभाग के प्रतिनिधि, कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि एवं भारतीय प्रबंधन संस्थान रांची के प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे. पीएमयू के विशेषज्ञ का चयन साढ़े तीन साल का हाेगा. विशेषज्ञ का कामकाज संतोषजनक नहीं होने पर एक माह का नोटिस देकर उनकी संविदा समाप्त कर दी जायेगी.
स्कूलों को मिलेगा टैब
प्राथमिक, मध्य व उच्च विद्यालय को एक-एक टैब दिया जायेगा. एक प्राथमिक व मध्य विद्यालय के टैब देने पर 55.74 करोड़ व उच्च एवं प्लस टू उच्च विद्यालय के लिए पांच करोड़ खर्च होगा. विद्यालयों की ऑनलाइन निगरानी के लिए ई-विद्यावाहिनी नाम से सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है. इसके माध्यम से विद्यालय का क्रियाकलाप, बच्चे एवं शिक्षकों की उपस्थिति, बच्चों की उपलब्धि का अनुश्रवण किया जायेगा.

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