इसके बाद दोनों ने एसएआर वाद संख्या 436/04- 05 न्यायालय अभय कुमार राव, विनियमन पदाधिकारी रांची का फरजी रेगुलराइजेशन आदेश तैयार किया. फिर तत्कालीन अंचल कर्मियों की मदद से अपने नाम से उक्त जमीन का हस्तांतरण कराया. दोनों ने बाद में मुख्तारनामा पत्र संख्या 2124 के जरिये भूमि को बेचने के लिए बरियातू के दिवाकर नगर निवासी चंद्रशेखर कुमार को दे दी. चंद्रशेखर प्रसाद ने वर्ष 2006 से 2014 के दौरान विभिन्न 12 डीड के माध्यम से जमीन की बिक्री कर दी. कांके सीओ ने प्राथमिकी के नोट में यह भी लिखा है कि इबरार अहमद व इसराफिल अहमद यदि जीवित नहीं हैं, तो उनके वारिस के नाम से जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की जाये.
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फर्जी पेपर पर सरकारी कर्मियों के सहयोग से हड़प ली करोड़ों की आदिवासी जमीन
रांची: एसएआर कोर्ट के फरजी पेपर के आधार पर भूमाफियाओं ने सरकारी कर्मियों के सहयोग से 2.44 एकड़ आदिवासी जमीन हड़प ली. मामले में कांके सीओ की शिकायत पर बरियातू थाने में इबरार अहमद, इसराफिल अहमद और चंद्रशेखर पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी […]
रांची: एसएआर कोर्ट के फरजी पेपर के आधार पर भूमाफियाओं ने सरकारी कर्मियों के सहयोग से 2.44 एकड़ आदिवासी जमीन हड़प ली. मामले में कांके सीओ की शिकायत पर बरियातू थाने में इबरार अहमद, इसराफिल अहमद और चंद्रशेखर पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है.
प्राथमिकी के अनुसार कांके अंचल के मौजा बोड़ेया में खाता संख्या 461, प्लॉट संख्या 2425, 2430 और 2431 में 2.44 एकड़ भूमि फरजी कागजात के आधार पर स्थानांतरित हुई है. मामले की जांच अपर समाहर्ता के नेतृत्व में गठित जांच दल ने की थी. जांच में पता चला कि आदिवासी खाते की जमीन को हड़पने के उद्देश्य से जिला निबंधन कार्यालय के कर्मियों के सहयोग से निबंधित पट्टा संख्या 3043 दिनांक 21 मई 1946 का फर्जी निबंधित दस्तावेज तैयार किया गया था. इसी के आधार पर विशेष विनियमन पदाधिकारी, एसएआर वाद संख्या 436/ 04- 05 पारसनाथ उरांव वगैरह बनाम इबरार वगैरह के जाली नकल के आधार पर कांके अंचल कार्यालय द्वारा जमीन का नाम ट्रांसफर हुआ था.
बाद में इबरार अहमद और इसराफिल अहमद पिता स्व खुद बक्स निवासी हिंदपीढ़ी ने उक्त भूमि का पावर ऑफ अटर्नी निबंधन संख्या 2124 दिनांक 15 दिसंबर 2006 को चंद्रशेखर प्रसाद को दिया था. पावर ऑफ अटर्नी लेने के बाद उक्त भूमि को चंद्रशेखर कुमार द्वारा बिक्री की गयी है. कांके सीओ ने प्राथमिकी में उल्लेख किया है कि जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि जालसाजी के कार्य को अंजाम इबरार अहमद और इसराफिल अहमद ने दिया है. उनके द्वारा 21 मई, 1946 का डीड संख्या 3043 फरजी तरीके से बनाया गया. इसके बाद मूल डीड के रजिस्ट्री कार्यालय के बुक नंबर- एक, वोल्यूम नंबर 18 ऑफ 1946 की पृष्ठ संख्या 539 से 540 को पंजी से हटा दिया गया.
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